कई अध्ययनों से भी साबित हुआ है की, हमारी 95 फीसदी भावनाएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि, हम दिन भर अपने-आप से कैसे बात करते है। अगर हम सचेत रूप से खुद से सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से बात नहीं करते हैं, तो हम जाने-अनजाने उन चीजों के बारें में सोचेंगे जो हमें दुखी करेगी। यह हमारे आत्म – सम्मान को काम करेंगी या हमारे लिए संदेह और चिंता का कारण बनेंगी। इसलिए जब भी खूद से बात करें, तो अपने लिए सकारात्मक बोलें, जैसे- 'मुझे खुद से प्यार है। ' ' मैं यह कर सकता हूँ।' 'मैं एक अच्छे जीवन का हकदार हूँ। '
अच्छी कल्पनाएं
शायद आपको पता नहीं कि जीवन में सभी सुधार आपके मानसिक दृश्य में सुधार से शुरू होते हैं। इसका मतलब है कि, जैसा आप खुद को अंदर से देखेंगे, आप बाहर से वैसे ही हो जाएंगे। इसलिए अपने लक्ष्य और अपने आदर्श जीवन की एक स्पष्ट तस्वीर बनाएं और इस तस्वीर को अपने दिमाग में बार- बार दोहराएं। यह आपको अवचेतन मन में उन अच्छी चीजों के बारे में एक मजबूत संबंध बनाने की अनुमति देगा, जिन्हें आप अनुभव करना चाहते है।
अवश्य लीजिए ये मानसिक विटामिन
आप अपने मन को जो खिलाएंगे, उसी से आपकी मानसिक सेहत तय होगी। इसलिए अपने मन को ऐसी जानकारी और विचारों से भरें, जो आपको अपनी दुनिया के बारे में खुश और अधिक आश्वस्त महसूस कराए। जो आपको बेहतर सोचने और कार्य करने में मदद करें। इस मानसिक विटामिन को लेने के लिए दिन में लगभग 30 मिनट का समय रखें। उस समय में खूद को सकारात्मक चीजों से जोड़े या किताबें पढ़ें, जो आपके ज्ञान को बढ़ाएं यह आपकी खुद की छवि योग्यता को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
अच्छी उम्मीदें रखना बेहद जरूरी
आपको हमेशा सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करनी चाहिए। सफल होने की उम्मीद करें व देखें कि, कैसे आपका अवचेतन मन आपके वंच्छित लाभ को प्राप्त करने के लिए अवसर लाना शुरू कर देता है। जब आप लगातार अच्छी चीजें होने की उम्मीद करते है तो अपने अपने विचारों पर आपका विश्वास सही नतीजे लाता है। क्या आपको भी लगता है कि, आप अपनी नकारात्मकता को खुद से कभी अलग नहीं कार सकते? बेशक यह आपके लिए थोड़ा मुश्किल काम लगे, पर आप सकारात्मक हो सकते है। बस, दिमाग को चाहिए मानसिक विटामिन वाला अभ्यास। पूरी तरह के सकारात्मक व्यक्ति बनने के लिए यहाँ कुछ अभ्यास है, जिससे आपको मदद मिल सकती है।