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तन, मन और चेतना के लिए फायदेमंद है योग..!


योग मुद्राएँ यानि वह स्थिति जिसमें स्थिरता और सहजता दोनों होते हैं। योग करते समय यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए। घर में खुद से योग शुरू करने से पहले आप किसी अनुभवी प्रशिक्षक से योगासनों को सीखें। शरीर की स्थिति, उम्र व लिंग को ध्यान रखकर ही आसन करने चाहिए। सभी आसन सभी स्थिति में करना सही नहीं होता। छोटे -छोटे आसन भी फायदेमंद होते हैं, बशर्ते आप उन्हें विधि से करें।

ये है सही तरीका

● योग की शुरुआत किसी जाप से करें। गहरी श्वास लेते-छोड़ते हुए अपने शरीर से जुड़ें। शुरू में सूक्ष्म योग क्रियाओं से खुद को आसन के लिए तैयार करें। इसके बाद आयु व लिंग के आधार पर सूर्य नमस्कार करते हैं। यह पूर्ण व्यायाम है, जिसमें आसन, मुद्रा, प्राणायाम व ध्यान स ब शामिल हैं। आसनों के अंत में और कभी-कभी बीच-बीच में भी शवासन कराया जाता है। आसन के बाद प्राणायाम व अनंत में ध्यान किया जाता है।

● योग सही जगह पर ही करें। खुले में हरियाली के बीच, हल्की सूर्य की रोशनी में योग करने की बात ही अलग है, पर घर में ही योग कर रहें है तो खुले, शांत व हवादार कमरे में योग करें। इससे शरीर से श्वास व पसीने से निकलने वाले विजातीय तत्त्व बाहर नहीं निकलते।

● योग के लिए सुबह ६ से ८ व शाम ५ से ८ का समाया सही रहता है। योग साफ-सुथरी चटाई या मोटी दरी पर करें। सीधे फर्श पर आसन न करें। बैचैनी या हड़बड़ी में ना करें।

● योग सुबह के समय खाली पेट और हाथ व मुँह धोकर करें। किसी अन्य समय कर रहे हैं तो योग व भोजन के बीच कम से कम ढाई घंटे का अंतर जरुर रखें।

● योग नहाकर या बिना नहाये कर सकते हैं। इसका कारण यहाँ हैं की योग के दौरान निकला पसीना पोंछकर नहीं सुखाया जाता। जब पसीना खुद की पूरी तरह सूख जाए, तभी नहाना चाहिए।

● जहाँ तक संभव हो योग हर रोज तय समय पर ही करें।

● योग के दौरान अगर लघु या दीर्घ शंका महसूस हो रही है तो उसे रोके नहीं।

● प्राचीन पद्धति के अनुसार योग के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए। पर आधुनिक चिकित्सा पानी पिने की सलाह देती है। इससे शरीर को ऑक्सीजन मिलाती है और आसन के दौरान थकान नहीं होती। योग से पहले कम से कम एक लीटर पानी लेना चाहिए। बीच में प्यास लग रही है, तो थोडा पानी पी सकते हैं।

● गर्मी में शीतली व शीतकारी नाडी शोधन प्राणायाम करना चाहिए ।गर्मी में कपालभाती क्रिया ५ से ७ मिनट (४००स्ट्रोक) से ज्यादा नहीं करनी चाहिए। अगर कर रहें तो अनुभवी योग गुरु के सामने ही करें। दिन भर में कम से कम ३ लीटर पानी जरुर पीयें।

खुद से जबर्दस्ती ना करें

● पूरी सजगता से आसन करें। ध्यान सासों पर रखें।

● आसन मुद्रा में खुद को सहज रखें। सौ प्रतिशत आदर्श ढंग से आसन करने की बजाए बस विधि से आसन करें। आसन का काउंटर आसन जरुर करें। जैसे तीन बार आगे झुककर पश्चिमोत्तासन कर रहे हैं, तो तीन बार भुजंग आसन जरुर करें। अगर कोई क्रिया बाएं हाथ से की है, तो उसे दायें से भी करें।

● चेहरे पर मुस्कान रखते हुए आसन करें।

● सामान्य मुद्रा में लौटते हुए जल्दबाजी नहीं करें। आसन को ढंग से पूरा करें।

● कमर, गर्दन, सियाटिका दर्द से पीड़ितों को आगे झुकने वाले व्यायाम नहीं करने चाहिए। हृदय रोगी व गर्भवती महिलाओं को श्वास रोकने वाले आसन नहीं करने चाहिए। अल्सर, हर्निया, दिल, बीपी के रोगी और गर्भवती महिलाओं को योगाभ्यास प्रशिक्षक के निरीक्षण में ही करना चाहिए। प्रीमेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं को आलथी- पालथी लगाकर व्यायाम नहीं करना चाहिए।

● माहवारी के दौरान योग न करें। तन,मन और सुविधा तीनों के लिहाज से तीन दिन योग करने से बचें ।