भरपूर नींद लेने से शरीर के कई हिस्से पुन: ऊर्जा पा लेते हैं। विशेषकर दिमाग। नींद लेने से यह सकारात्मक ढंग से काम कर पाता है।
आज अधिकतर भारतीय कम सोते हैं इस कारण वे अनिद्रा से संबंधित अनेक बीमारियों से ग्रसित हैं। ए.सी. निल्सन द्वारा करवाए गए ग्लोबल अध्ययन में यह बात सामने आई है कि, ४६ प्रतिशत भारतीय छह घंटे से भी कम समय सोते हैं। अगर आप अब भी डैस्क पर गहरी नींद में बैठे हुए अपने सिर को हिलाकर इस बात से इंकार कर रहें हैं, तो आपके लिए एक ऐसी झटका देने वाली खबर है जिससे आपकी नींद उड़ जाएगी। अध्ययनों के अनुसार अनिद्रा तथा आत्महत्या में आपस में संबंध पाए गए हैं। बॉस्टन में कॉलेज छात्रों के साथ ऑनलाइन सर्वे करने वाली अमेरिका के हार्वर्ड विद्याविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रोफ़ेसर तथा मुंबई के जसलोक अस्पताल की मनोविज्ञानी परामकर्ता डॉ. शम्सा सोनावाला कहती हैं, "शरीर में एक ही रसायन नींद, मुड़ तथा आत्महत्या वालें विचारों को नियंत्रित करता है। मैं उन आत्मघाती वाले विचारों की बात कर रही हूं जो क्लीनिकल तनाव के कारण नहीं बल्कि उचित मात्र में नींद न लेने के कारण उत्पन्न होते है।"
अनिद्रा एक ऐसी बीमारी है जिससे नगरों में रहने वाले अधिकतर भारतीय पीड़ित हैं। औसतन काम करने वाले दम्पतियों के लिए नींद एक बड़ी समस्या हैं। दिन में लगभग १२ घंटे काम करने के बाद बच्चों को समय देना होता है। टी.वी तथा रात में पार्टी आदि के लिए भी समय निकलना पड़ता है। आजकल तो बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। स्कूल में समय देने के बाद उनको अनगिनत ट्युशनों, विशेष रूचि वाली कक्षाओं, कम्यूटिंग, टी.वी. देखना तथा नैट सर्फिंग जैसे अनेक कामों के लिए भी समय देना पड़ता है।
डॉक्टरों का मानना है कि, जिन लोगों का कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं वे भी अनिद्रा के अनेक लक्षणों से पीड़ित होने पर व्यक्ति अधिक खता है।
अधिकतर लोग अनिद्रा बीमारी के दुष्प्रभावों से अवगत ही नहीं हैं। बॉम्बे अस्पताल में चेस्ट फिजिशियन था अनिद्रा की विशेषज्ञ डॉ. अमिता नेने बताती हैं, "भरपूर नींद लेने से शरीर के कई हिस्से पुन: ऊर्जा पा लेते हैं। विशेषकर दिमाग। नींद लेने से यह सकारात्मक ढंग से काम कर पाता है।" भरपूर मात्र में नींद न लेने के कारण एकाग्रशक्ति, पाचन शक्ति, कोई चीज सीखने की शक्ति, बारीकियां समझने की शक्ति, शरीर की रक्षात्मक प्रणाली तथा मांसपेशियों की तालमेल शक्ति में कमी आ जाती है। डॉ. सोनावाला बताती हैं, "हाल ही में किए गए अध्ययन दर्शाते हैं कि, अनिद्रा के कारण कई मेडिकल समस्याएं तथा हाइपरटेंशन आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।" अधिकतर लोगों का विश्वास हैं, की अगर वे कम सो कर भी अपना कम चला सकते हैं तो ठीक है परन्तु विशेषज्ञों की सोच इसे विपरीत है। तो फिर एक व्यक्ति को कितनी देर सोना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ. नेने कहती हैं, "अध्ययन दर्शाते हैं कि, जो वयस्क रात में सात से आठ घंटे की नींद लेते हैं वे ज्यादा समय जीते तथा कम सोने वालों के मुकाबले हृदय समस्याओं का कम शिकार होते हैं। महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक सोना पसंद करती हैं। किशोरावस्था में युवावस्था के मुकाबले ज्यादा नींद आती है, तथा बूढ़े लोग, बच्चों से थोडा कम सोना पसंद करते हैं। बच्चों, टीनेजर्स को नींद बहुत आती है। संतोषजनक नींद उतनी ही देर की होती है कि, जब आप सुबह उठें तो फ्रेश महसूस करें और दिन का भरपूर आनंद उठाने की शक्ति हो।"