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स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है लौह तत्त्व......!

 



जब खून में पर्याप्त लोहा नहीं होता, तो शरीर के कोशों (सेल्स) में यथेष्ट ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और इसलिए कार्बन डाइ आक्साइड जैसी गंदगी भी पूरी तरह से दूर नहीं हो पाती। रक्ताल्पता (एनीमिया) यानी खून की कमी के रोग में यही स्थिति पैदा हो जाती है। इसमें व्यक्ति पीला, थका, निरुत्साह और अशक्त बना रहता है। वह जल्दी और स्पष्ट सोच नहीं पाता और अक्सर भूल जाया करता है की, वह क्या करने जा रहा था।

जीवन के लिए अतिआवश्यक 'ऑक्सीजन' गैस को शरीर के हर भाग तक पहुँचाने का श्रेय लोहे को है, जो हमारे खून में मिला रहता है। मांसपेशियों में जीवन-दायक ऑक्सीजन पहुँचाकर, वह हानिकारक कार्बन डाई-आक्साइड गैस निकलने में सहायता करता है।

यद्यपि रक्ताल्पता रोग के कई कारण होते है, किंतु इसका मुख्य कारण खुराक में लोहे की कमी ही है। यदि लोहे के साथ थोडा तांबा भी हो, तो शरीर रक्त बनाने के लिए लोहे का उपयोग अच्छी तरह से कर सकता है। सौभाग्य से खाद्य पदार्थों में तांबा और लोहा साथ-साथ पाये जाते है। राब या शिरा, कड़े छिलके वाले मेवे, जैसे - मूंगफली, बादाम, अखरोट, काजू, आदि खुबानी, गेंहूँ का चोकर, शाक आदि वे खाद्य पदार्थ है, जिनमे लोहा काफी मात्रा में पाया जाता है। मिठाइयों में चीनी के बजाय राब या शीरे का इस्तेमाल करके चोकरदार गेंहूँ के आटे कि रोटी और बिना पॉलिश के चावल का उपयोग करके हम अपने शरीर के लिए इन खाद्य पदार्थों से लोहा और तांबा अधिक मात्रा में प्राप्त कर सकते है। एक और जानने योग्य बात यह है कि, खाद्य पदार्थों में जो लोहा होता है, वह सारा का सारा हमारे रक्त मे नहीं मिल पाता। इसलिए खुराक में काफी मात्रा में लोहा मौजूद होने पर भी रक्तहीनता हो सकती है। खुराक का सारा लोहा रक्त या मज्जा तक नहीं पहुंच पाता। अत: खाद्यों में मिले हुए लोहे की मात्रा का उतना महत्त्व नहीं, जितना महत्त्व इसका है की वह कितनी मात्रा में शरीर में शोषित किया जाता है।

लोहा किन चीजों से मिलता है

फलो में अधिक लोहा नहीं होता, किंतु जो कुछ भी होता है, वह अधिकांश रक्त में सीधे ही पहुंच जाता है। आम, अमरुद, खजूर, अंजीर, आडू (पिच) और अन्य विभिन्न किस्म के नींबूओं में लोहा होता है। इसलिए ये लाभकर है। रक्तहीनता के निवारण के लिए खुबानी (एप्रीकॉट) खास तौर से फायदेमंद पायी गयी है। मूंगफली, इमली, गाजर तथा शीरे और राब में उपलब्ध लोहा भी शरीर में शोषित हो जाता है। मांस में भी लोहा काफी होता है, मगर उसका बहुत कम भाग पच पाता है। सोयाबीन में काफी लोहा होता है और उसका 80 प्रतिशत खून में पहुंच जाता है।

लोहा शरीर में कैसे शोषित होता है

पाचन-क्रिया में, खाद्य में से लोहा अलग हो जाने पर भी, संभव है की वह लोहा खून में न मिल पाये। बात यह है कि, लोहा एसिड की मौजूदगी में ही घुल पाता है और घुले बिना अंतडियों की दीवारों में से रस अंदर नहीं जा पाता। साधारणत: स्वस्थ मनुष्य के पेट में जो 'हाइड्रोक्लोरिक एसिड' पैदा होता है, जो लोहे को घुला देता है किंतु, बहुत से लोगों में खास कर उन लोगों में, जिनमे 'बी-काम्प्लेक्स' के विटामिनो की कमी होती है या जो सोडा-बाई-कार्ब के आदि होते है, यह काफी मात्रा में मौजूद नहीं रहता। इसके कारण उनके शरीर में लोहा शोषित नहीं हो पाता और खाद्य में लोहे का होना न के बराबर हो जाता है। 

वयस्क या बालिग आदमी के लिए प्रतिदिन करीब 25 मिलिग्राम लोहे की जरुरत होती है। स्त्रियों को कम-से कम दो ग्राम अर्थात कुल 17 मिलीग्राम और गर्भवती स्त्रियों को 20 मिलीग्राम लोहा प्रतिदिन मिलना चाहिए। निचे की तालिका में बताया गया है की किन खाद्य पदार्थों में कितना लोहा होता है-

खाद्य - मात्रा - लोहे की मात्रा
खुबानी - 4 अर्द्ध - 3 मिलीग्राम
केला - 1 बड़ा - 2 मिलीग्राम
चुकंदर - आधा प्याली - 2 मि.ग्रा.
खजूर - ४ मिलीग्राम - 2 मि.ग्रा.
खाद्य - मात्रा - लोहे की मात्रा
शीरा/राब- 1 चम्मच - 2 मि.ग्रा.
काजू - 1/२ प्याली- 3 मि.ग्रा.
प्रून्स(सूखे बेर)-३ प्याली - 3 मि.ग्रा.
किशमिश - 2/3 प्याली - 3 मि.ग्रा.
पालक - 1/2 प्याली - 4 मि.ग्रा.
शलजम(हरा)-1/3प्याली- ९ मि.ग्रा.
गेहूं की चोकरदार -1 रोटी -1 मि.ग्रा.