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प्यार करना, योगा-मेडिटेशन की तरह है, जो दिल की धड़कन नियंत्रित रखता है..!


खुश रहिए इससे, 'पैरा सिस्टमैटिक नर्वस सिस्टम' एक्टिवेट होगा, जो तनाव घटाएगा। एक साल कोरोना के डर में बिताने के बाद लोग दोस्तों के साथ पार्टी और गेट टूगेदर करेंगे। यह पार्टी, गॉसिप और एंजॉयमेंट किस तरह से हमें स्वस्थ रखता है। मेडिकल साइंस में पॉजीटीव फीलिंग्स व इमोशंस के क्या मायने हैं। इस अवसर पर दिए जाने वाले सरप्राइज, हग और टेडी बीयर, लंबी जिंदगी जीने में मददगार बनते हैं।

दिल को स्वस्थ रखना है तो दोस्तों को प्यार कीजिए। प्यार की यह जादू भरी झप्पी दिल के लिए एक एक्सरसाइज की तरह है। जिस तरह एक्सरसाइज करने पर हार्मोंस रिलीज होते हैं। वैसे ही प्यार करते वक्त हार्मोंस रिलीज होते है। इससे दिल की धड़कन बढती है, इसलिए प्यार करना हैल्दी हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है। दिल और दिमाग दोनों अलग-अलग है। दिमाग सोचता है, और दिल धड़कता है। इमोशंस दिमाग में आते हैं। यहाँ से ये दिल तक कनेक्ट होते हैं। यह कहना गलत है कि, दिल पर लगी, दिल दुखा मेरा और दिल टूट गया। दिमाग सोचता है। इससे निकलने वाले हार्मोंस दिल पर असर डालते हैं। गुस्सा और अहंकार आने पर सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिवेट होता है। इससे निकलने वाले अलग-अलग तरीके के हार्मोंस दिल की सेहत बिगाड़ देते हैं। इनसे दिल की धड़कन बढ़ना शुरू हो जाती है। दिमाग टेंशन में आ जाता है जब कि, हम खुश रहते हैं, तो पैरा सिस्टमैटिक नर्वस सिस्टम एक्टिवेट होता है, जो टेंशन कम करने वाले हार्मोंस को रिलीज करते हैं। इसलिए किसी के लिए जब प्यार आता है, तो उससे निकलने वाले हार्मोंस हमारे शरीर को एनर्जी देते हैं।

हार्ट डिजीज से बचाएंगे पॉजिटिव इमोशंस और हग

जब हम किसी को हग और टच करते हैं, तो पॉजिटिव इमोशंस रिलीज होते हैं। इनमें मेटल और साइकोलॉजिकल हेल्थ शामिल होने के कारण ये कार्डियोवस्कुलर डिजीज से बचते हैं। पॉजिटिव इमोशंस से शरीर में न्युरोबायोलॉजिकल हार्मोंस निकलते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखते है। धड़कने नियंत्रित रहती है।

अमेरिका के कार्डियो-वस्कुलर डिजीज से संबंधित जर्नल सर्कुलेशन में पिछले महीने हमें एक स्टडी में प्रकाशित किया गया है। पॉजिटिव इमोशंस कोलेस्ट्रॉल लेवल को सामान्य रखते हुए हार्ट अटैक से बचाते है। साथ ही ग्लूकोज लेवल भी मेंटेन रखते हैं। वही, जिंदगी में निगेटिव फिलिंग्स या किसी को खोने का एपिसोड होने से, निगेटिव इमोशंस बनते है और यही निगेटिव इमोशंस, दिल की धडकनों और ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं। साथ ही लूज मोशन और पेट दर्द जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।

ब्रेन के बाद हार्ट में होते हैं सबसे जादा न्यूरोन्स इसमें योगा और मेडिटेशन की तरह सीक्रेट हार्मोंस रिलीज होते हैं। ये दिल की धडकनों को नियंत्रित करते है। इसलिए यह माना जाता है कि, प्यार करना, योगा और मेडिटेशन की तरह है। साइंटिफिक तौर पर यह प्रमाण मिल चुके हैं कि, ब्रेन के बाद न्यूरोन्स दिल, आंत और स्किन में भी पाए जाते है। यही वजह है पॉजिटिव होते हैं, तो इसका असर दिल पर पड़ता है। टेंशन होने पर आंतों के न्यूरोन्स गड़बड़ाने से व्यक्ति बार-बार लूज मोशन जाता है। वहीं, स्किन पर इसका असर पड़ने और न्यूरोन्स एक्टिव होने से स्किन पर रोंगटे खड़े हो जाते है। हार्ट ट्रांसप्लांट किए जाने पर रिसिपिएंट में डोनर का स्वभाव और उसकी विशेषताएं ट्रांसप्लांट हो जाती है।

गॉसिप और खुश रहने से डायबिटीज रहेगी कंट्रोल

दोस्तों या पार्टनर के साथ गॉशिप करने व किसी अन्य कारण से एक्साइटमेंट आता है। एक्साइटमेंट की वजह से कोर्टिसोल जैसे हार्मोंस रिलीज होते हैं। एक्साइटमेंट बढ़ने के साथ-साथ इन हार्मोंस का सीक्रेशन लेवल भी बढ़ता है। हालांकि, यह माना जाता है कि, लंबे समय तक इन हार्मोंस का स्तर बढ़ने से डायबिटीज होने की आशंका रहती है। ऐसा सभी के साथ हो, यह संभव नहीं है। ये हार्मोंस थोडी देर के बाद सामान्य हो जाते हैं। वहीं, तनाव में रहने से डायबिटीज बढती है।