डेंगू बुखार को 'हड्डी तोड़ बुखार' नाम भी दिया गया है। अगर इसका सही उपचार नहीं हुआ तो यह बुखार (1) डेंगू हेमोरेजिक फीवर, (2) डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। यह वायरल बुखार है, जो 4 प्रकार के डेंगू वायरस (डी-1, डी-2, डी-3, डी-4) से होता है।
यह वायरस दिन में काटने वाले दो प्रकार के मच्छरों से फैलता है। ये मच्छर 'एडिज इजिप्ती' तथा 'एडिज एल्बोपेक्टस' के नाम से जाने जाते हैं। यह बुखार सिर्फ मच्छरों से फैलता है। मरीज दुसरे स्वस्थ आदमी को यह बीमारी नहीं देता है। यह मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते है, जैसे घर के बाहर पानी की टंकियाँ या जानवरों के पीने की हौद, कूलर में इकट्ठा पानी, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायरों में इकट्ठा पानी आदि। इसके विपरीत मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है।
लक्षण
साधारण: डेंगू की शुरुआत 1 से 5 दिनों तक बुखार व ठंड के साथ होती है। अन्य लक्षण जैसे सिरदर्द, कमर व जोड़ों में दर्द, थकावट व कमजोरी, हल्की खाँसी व गले में खराश, उल्टी व शरीर पर लाल-लाल दाने भी दिखाई दे सकते है। पहली बार, शुरू के दो-तीन दिनों में और दूसरी बार, छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब 15 दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में ज्यादा खतरनाक होता है।
डेंगू हेमोरेजिक बुखार में उपरोक्त लक्षणों के अलावा प्लेटलेट्स की कमी से शरीर में कही से भी खून बहना शुरू हो सकता है, जैसे नाक से, दाँतों व मसूड़ों से, खून की उल्टी व मल में खून आना आदि। इसके साथ मरीज के हाथ-पाँव ठंडे हो सकते हैं, व मरीज अंत: शॉक में चला जाता है, या उपचार के अभाव में उसकी मृत्यु हो सकती है।
रोकथाम
- अपने शरीर को मच्छरों के काटने से बचाना व मच्छर अपने घर के आसपास नहीं पनपने देना डेंगू की रोकथाम का मुख्य आधार है।
- घर के आसपास पानी की टंकी ढँककर रखें। कही भी पानी को इकट्ठा न रखें। कूलर आदि की नियमित सफाई करें व रोज पानी बदल दें।
- पूरी आस्तीन के कपड़ों से अपने शरीर को ढँककर रखें। पाँवों में मोज़े पहनें। शरीर पर मच्छर निरोधक क्रीम लगाएँ, मच्छरदानी लगाएँ।
- घर के आसपास मच्छरों को पनपने न दें। डीडीटी आदि का नियमित छिडकावा कराएँ, नीम के पत्तों का धुआँ करें।
उपचार
- मरीज को पूर्णत: आराम करना चाहिए। योग्य चिकित्सक के निर्देशन में ही उपचार लेना चाहिए।
- मरीज को खूब पानी, नारियल पानी व फलों का रस बार-बार लेते रहना चाहिए।
- तेज बुखार व दर्द निवारक दवाई जैसे पेरासिटामॉल हर चार से छ: घंटे में खाते रहना चाहिए। इसके अलावा अन्य दर्द निवारक दवाई जैसे एस्प्रिन कभी नहीं लेना चाहिए, यह घातक हो सकती है। इससे शरीर में कहीं से भी खून का स्त्राव शुरू हो सकता है।