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कई रोगों की कारगर दवा भी है रसाहार...!

 


स्वास्थ्य में पाचन शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे आहार में उपस्थित तरह के पोषक तत्व रस व रक्त में परिवर्तित होकर शरीर के प्रत्येक अंग का पोषण करते हैं। ठोस आहार की जगह यदि रसाहार लिया जाए तो ज्यादा फल लाभकारी रहता है। फल व सब्जियों का रस पूर्ण प्राकृतिक आहार है। कच्चे फल व सब्जियों के रस को पाचन क्रिया की जरूरत नहीं होती क्योंकि आमाशय में पहुंचते ही इनका उपयोग होने लगता है। शरीर को तुरंत पोषण मिलता है। रसाहार से शरीर के दूषित विषैले तत्व नष्ट हो जाते हैं तथा शरीर की कोशिकाओं को नए सिरे से बनने की प्रक्रिया में तेजी आती है। रसाहार में फल व सब्जियों का रस लेने से शरीर कमजोर नहीं पड़ता, उसकी उसकी रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है व हृदय को ताकत मिलती है। रस सुवासित तो होते ही है ताज की भी देते हैं। इनमें खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। नियमित रस सेवन से उपापचय की प्रक्रिया उद्दीप्त होती है तथा शरीर में संक्रामक रोगों से लड़ने की प्रतिरोधी शक्ति पैदा होती है व तनाव दूर होते हैं।

साधारण बीमारियों का रसाहार से उपचार

अपच : अपच में प्रातः काल खाली पेट गुनगुने गर्म पानी में एक बूंद नींबू निचोड़कर पिए। भोजन से आधा घंटा पहले एक चम्मच अदरक का रस पीए। दिन में ककड़ी, पपीता, अननस का रस या गाजर, टमाटर का मिक्स पिए। भोजन ज्यादा न करें। थोड़ा शारीरिक श्रम करें।

कब्ज: कब्ज में पालक, गाजर का मिक्स रस ले। या ककड़ी,आलू, सेब का मिक्स रस पीए। बेल, संतरा व अमरूद का रस भी उपयुक्त है। गाजर, पपीता, सेब, खीरा, चौलाई, टमाटर का रस सेवन करें। थोड़ा शारीरिक श्रम करें।

मोटापा: इसके लिए रोज खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू निचोड़कर एक छोटा चम्मच शहद डालकर पिए। दिन में गाजर, ककड़ी, टमाटर, संतरा, मौसंबी आदि का रस ले। भोजन कम मात्रा में ले। शारीरिक श्रम करें।

मधुमेह : करेला, जामुन, नींबू, पालक, ककड़ी, गाजर, टमाटर, गोभी के रस का सेवन करें। चीनी, गुड, आलू, मीठे फल न खाए।

भूख जगाने के लिए: रोज प्रात:काल एक गिलास पानी नींबू निचोड़कर पिए। खाना खाने से पहले एक चम्मच अदरक का रस पिए।

एसिडिटी : गाजर व गोभी का मिक्स रस पीएं। तरबूज, मोसंबी, ककड़ी, सेब, आलू का रस पिया जा सकता है। दूध का सेवन करें। तेज मिर्च - मसाले व तले हुए पदार्थ न खाए।

अनिद्रा: गाजर व पालक का मिक्स रस या सेब,अमरूद,आलू का रस पिए। शाम 6:00 बजे बात कुछ न खाएं।

खांसी : प्रात:काल खांसी खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू का रस व एक चम्मच शहद डालकर पिए। दिन में एक गिलास गाजर के रस में एक चम्मच प्याज का रस तथा एक चम्मच तुलसी का रस मिलाकर पिए। धूम्रपान का त्याग करें।

मुंह के छाले : टमाटर, नींबू का रस, मौसमी, संतरा, गाजर व हरे धनिया या रस पिए। कब्ज से बचाव रखें तथा मुंह साफ रखें।

ठंडक व ताजगी के लिए : तरबूज , अननस व सेब का रस पियें। रस घड़े के ठंडे पनि में बनाए। बर्फ का प्रयोग न करे।

एनीमिया: पालक, चुकंदर, शलजम, मुली के पत्ते, टमाटर, गाजर, सेब अंगूर अनर, संतरा , मौसमी, पपीता व अननस का रस पिएं।

टायफाइड : प्रात: काल एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद तथा एक नींबू का रस निकाल कर पिएं। एक-एक चम्मच लहसुन व प्याज का रस पिएं। दिन में मौसमी, संतरा, अन्नास व अंगूर का रस पी सकते है।

लु लगने पर : प्याज का रस जल्दी फायदा करता है। आवला, संतरा, मौसमी, इमली का रस पिएं।

उच्च रक्तचाप : लहसुन, तुलसी, गेहूं के जवारों का रस लाभदायक रहता है। गाजर , ककडी, संतरे का रस पियें। टमाटर, अननस, खट्टे फल व पपीता का रस भी ले सकते है। घी, तेल वसीय पदार्थ कम करें।

रसाहार में सावधानियाँ

रस केवल बीमार व्यक्ति के लिए ही जरूरी नहीं होते वरन् सभी उम्र के लोग खासकर बच्चों के सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी होते है। इनके सेवन में निम्न सावधानियाँ रखनी चाहिए।

रस हमेशा ताजे फल सब्जियों का ही लें तथा रस निकाल कर तुरंत पिए। इसे रखे रहने से पौष्टिक गुण नष्ट हो जाते है। बेमौसम के फल व सब्जियों का सेवन न करे।

बाजार में सार्वजनिक स्थल पर निकाले जानेवाले रस के सेवन न करे। इससे संक्रामक रोग होने की संभावना रहती है। इससे संक्रामक रोग होने की संभावना रहती है।

मिक्सी से रस को निकालने की बजाय हाथ से कद्दूकस करके कपड़े में बांध कर रस निकाले।

रस पीने के बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं।

किसी भी प्रकार मौसमी फल व सब्जियां खाएं।

कमजोर महिलाएं रस के साथ एक दो चम्मच शहद या ग्लूकोज भी लें।

दमा, मधुमेह व हृदय रोगी योग्य चिकित्सक की देख-रेख में ही रस लें।