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विपरीत करनी योग मुद्रा के होने वाले प्रमुख लाभ

 



विपरीत करनी योग मुद्रा के अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होता है। पैरों में थकान एवं दर्द की स्थिति में इस योग से लाभ होता है। यह आसन, रक्त संचार को सुचारू बनाता है। अनिद्रा सम्बन्धी रोग में इस आसन का अभ्यास लाभकारी होता है। गर्दन और कंधो में मौजूद तनाव को दूर करता है।

विपरीत करनी योग मुद्रा अवस्था

          इस मुद्रा का अभ्यास करते समय मेरूदंड को सीधा रखना बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। मेरूदंड सीधी रहे अतः सिर को मेरूदंड की सीध में रखना चाहिए और कंधों को हिप्स की सीध में।

          इस आसन का अभ्यास करते समय अगर पैरों में तनाव महसूस हो तब शरीर को बिल्कुल दीवार से सटा कर नहीं रखना चाहिए। अगर शरीर काफी लचीला है तभी दीवार से हिप्स और पैरों को लगाकर इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

सावधानियां

          जब आपकी गर्दन और पीठ में किसी प्रकार की परेशानी हो उस समय इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। अगर आप अभ्यास करते हैं तो किसी कुशल प्रशिक्षक से अवश्य सलाह ले लें। मासिक धर्म के समय महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। आंखों में तकलीफ की स्थिति में भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना है।

योग क्रिया

          स्टेप 1- दीवार से करीब 3 इंच की दूरी पर कम्बल फैलाएं।. स्टेप 2- पैरों को दीवार की ओर फैलाकर कम्बल पर बैठ जाएं। स्टेप 3- शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर झुकाकर कम्बल पर लेट जाएं। इस अवस्था में दोनों पैर दीवार से ऊपर की ओर होने चाहिए। स्टेप 4- बांहों को शरीर के कुछ दूरी पर जमीन से लगाकर रखे। इस अवस्था में हथेलियां ऊपर की ओर की होनी चाहिए।