आपकी चिंताएं कम हो जाती हैं। आपकी समस्याएं छोटी हो जाती हैं। ध्यान से आपकी चेतना को लाभ मिलता है। ध्यान से आपके भीतर सामंजस्यता बढ़ती है। जब भी आप भावनात्मक रूप से अस्थिर और परेशान हो जाते हैं, तो ध्यान आपको भीतर से स्वच्छ, निर्मल और शांत करते हुए हिम्मत और हौसला बढ़ाता है।
ध्यान से शारिरीक लाभ :
ध्यान से जहां शुरुआत में मन और मस्तिष्क को विश्राम और नई उर्जा मिलती है वहीं शरीर इस ऊर्जा से स्वयं को लाभांवित कर लेता है। ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति का संचार होता है। शरीर में प्राण शक्ति बढ़ने से आप स्वस्थ अनुभव महसूस करते हैं।
ध्यान से उच्च रक्तचाप नियंत्रित होता है। सिरदर्द दूर होता है। शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता का विकास होता है, जोकि किसी भी प्रकार की बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण है। ध्यान से शरीर में स्थिरता बढ़ती है। यह स्थिरता शरीर को मजबूत करती है।
आध्यात्मिक लाभ:
जो व्यक्ति ध्यान करना शुरू करते हैं, वह शांत होने लगते हैं। यह शांति ही मन और शरीर को मजबूती प्रदान करती है। ध्यान आपके होश पर से भावना और विचारों के बादल को हटाकर शुद्ध रूप से आपको वतमान में खड़ा कर देता है। ध्यान से काम, क्रोध, मद, लोभ और आसक्ति आदि सभी विकार समाप्त हो जाते हैं। निरंतर साक्षी भाव में रहने से व्यक्ति समाधी को प्राप्त कर लेता है।
कैसे उठाएं ध्यान से लाभ :
ध्यान से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है। ध्यान करने में ज्यादा समय की जरूरत नहीं मात्र पांच मिनट का ध्यान आपको भरपूर लाभ दे सकता है बशर्ते की आप नियमित करते हैं। यदि ध्यान आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है तो यह आपके दिन का सबसे बढ़िया समय बन जाता है। आपको इससे आनंद की प्राप्ति होती है। फिर आप इसे पांच से दस मिनट तक बढ़ा सकते हैं। पांच से दस मिनट का ध्यान आपके मस्तिष्क में शुरुआत में तो बीज रूप से रहता है, लेकिन 3 से 4 महिने बाद यह वृक्ष का आकार लेने लगता है और फिर उसके परिणाम आने शुरू हो जाते हैं।
ध्यान पर वैज्ञानिक संशोधन :
ध्यान पर यूं तो समय-समय पर शोध होते रहे हैं। शोध में ध्यान के मानसिक और शारीरिक महत्व और उपयोगिता को उजागर किया जाता रहा है, लेकिन हाल ही में पूर्व पेनीसिल्वेनिया विश्विविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक शोध में ध्यान व योग से व्यक्तित्व के विकास की बात मानी गई है।
इस शोध में शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि किस तरह से ध्यान द्वारा मस्तिष्क को तीन चरणों में एकाग्रचित किया जा सकता है। साथ ही सक्रिय रहते हुए मस्तिष्क को प्रत्येक बिंदु पर क्रियाशील बनाया जा सकता है। इस शोध के दौरान प्रतिभागियों को एक महीने तक 30 मिनट की ध्यान की अवस्था में रखा गया। एक महीने के पश्चात उनके मस्तिष्क की क्रियाओं को मापा गया और उनकी मानसिक गतिविधियों का निरीक्षण किया गया। इस शोध के निष्कर्ष स्वरूप इन प्रतिभागियों के मस्तिष्क और व्यवहार में काफी सकारात्मक परिवर्तन सामने आए। इस शोध का विस्तृत निष्कर्ष ‘कॉग्नीटिव, इफेक्ट्स एंड बिहेवियरल न्यूरोसाइंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।