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सेहत के लिए लाभदायक है गायत्री मंत्र...!

 


गायत्री मंत्र को सूर्य देव की उपासना के लिए सबसे सरल और फलदायी मंत्र माना जाता है। यह मंत्र चारों वेदों से मिलकर बना है। यह मंत्र निरोगी जीवन के साथ-साथ यश, प्रसिद्धि, धन व ऐश्वर्य देने वाली होती है। लेकिन इस मंत्र के साथ कई युक्तियां भी जुडी है। गायत्री मंत्र के २४ अक्षरों में अनेक ज्ञान-विज्ञानं छिपे हुए हैं। 

दिमाग को शांत रखता है 

ॐ के साथ इस मंत्र का उचारण किया जाता है, जो एक तरह की ध्वनि पैदा करती है, जिससे दिमाग शांत होता है। इसके जप से सिर्फ दिमाग ही नहीं शांत होता, बल्कि पढ़ने वाले बच्चो का कंसट्रेशन भी अच्छा रहता है। इससे बच्चों का दिमाग तेज भागता है। 

इम्यूनटी को बढाता है

गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से हमारे जुबान, होंठ, तालू और वोकल कॉर्डर पर असर होता है। साथ ही इसका जप लगातार करने से हमारे दिमाग के साथ-साथ हमारे हाईपोथैलेमस पर भी असर होता है। जिससे हमारे शरीर की ऊर्जा बढती है। 

सिखाने की क्षमता बढाती है

विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। विद्यार्थियों को पठने में मन नहीं लगना, याद  किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं  से निजात मिल जाती है। 

दिमाग को मजबूत रखता है 

गायत्री मंत्र का जप करने से दिमाग की एकाग्रता बढती है जिससे इंसान सब कुछ अच्छे से याद रख पाता है और अपने दिन भर के काम अच्छे से कर पता है। साथ ही यह अवसाद से भी दूर रखता है गायत्री मंत्र के उच्चारण से शरीर में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है जिससे शरीर किसी भी तरह के अवसाद से बचा रहता है। 

हृदय को स्वस्थ रखता है 

गायत्री मंत्र का जप आपके फेफड़ों के साथ-साथ हृदय को भी स्वस्थ रखता है। इसके नियमित उचारण से हृदय की गति पर फर्क पड़ता है, हृदय की गति तेज होने से शरीर में रक्त प्रवाह तेज होता है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। 

त्वचा में चमक लाता है

गायत्री के जप से हमारे चेहरे की त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और त्वचा से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं,  जिससे त्वचा में चमक आती है। 

सांस लेने की क्रिया में सुधार

गायत्री मंत्र के उच्चारण से आपकी श्वास क्रिया बेहतर होती है। इसके रोज जप करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढती है, साथ ही शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह भी बढ़ता है। 

सबसे बड़ा गायत्री मंत्र :

गायत्री को ब्रम्हास्त्र कहा गया है, क्योंकि कभी किसी की गायत्री साधना निष्फल नहीं जाती । इसका प्रयोग कभी भी व्यर्थ नहीं होता हैं गायत्री मंत्र विद्या का प्रयोग भगवान की भक्ति, ब्रम्हज्ञान प्राप्ति, दैवीय कृपा प्राप्त करने के साथ ही सांसारिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं, धन प्राप्त करने की इच्छा के लिए भी किया जाता सकता है।