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भुलने की आदत के कुछ महत्वपूर्ण इलाज...!



  यह रोग होने के कारण रोगी व्यक्ति की याद्दाश्त बहुत कमजोरी हो जाती है। वह किसी भी चीज को पहचान नहीं पाता है। अगर पहचानता भी है, तो कुछ समय सोचने के बाद।

अभी तक यह माना जाता था कि, फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करना पेट और दांतों के लिए नुकसानदेह है। हाल ही में स्वीडन में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि, फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड का सेवन न केवल पेट के लिए नुकसानदेह है, बल्कि यह हमारी याद्दाश्त को भी कमजोर करता है।

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि, पिछले कुछ सालों से समाज के सभी तबकों में फ़ास्ट फ़ूड का चलन काफी बढ़ गया है। लोग स्वास्थ्यकर आहार ग्रहण करने के बजाय फ़ास्ट फ़ूड व जंक फ़ूड का अधिक सेवन करते हैं।

फ़ास्ट व जंक फ़ूड में फैट और शुगर काफी मात्रा में पाया जाता है। ऐसा आहार ग्रहण करने पर हमारे दिमाग पर प्रतिकूल असर पड़ता है। फ़ास्ट फ़ूड हमारे दिमाग को सक्रीय रखने वाले रसायनों के प्रभाव को कम कर देते हैं। इस कारण याद्दाश्त धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि, न केवल नई पीढ़ी के लोग, बल्कि बुजुर्ग भी फ़ास्ट फ़ूड का अधिक सेवन करने लगे है। स्वीडन की राजधानी स्टॅमहोम कैरोलिका इंस्टिट्यूट की प्रमुख शोधकर्ता सुजैन के अनुसार फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करने पर हमारे ब्रेन सेल्स सिकुड़ जाते हैं। साथ ही आगे चलकर ये सेल्स नष्ट भी हो जाते हैं।

प्राकृतिक उपचार

= इस रोग से पीड़ित रोगी को कॉफी, चाय, कोला, शराब तथा मैदे से बनी चीजों का सेवन बंद कर देना चाहिए।

= इस रोग से पीड़ित रोगी को संतुलित आहार जिसमें ताजी सब्जियां, फल, अंकुरित अन्न आदि का सेवन करना चाहिए, जिसके फलस्वरूप कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।

= प्रतिदिन गाय के दूध में टिल को डालकर पीने से कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।

= पांच-छह अखरोट तथा दो अंजीर प्रतिदिन खाने से याददाश्त से संबंधित रोग दूर हो सकते हैं।

=रात के समय में बादाम या मुनक्का को भिगोकर सुबह के समय चबाकर खाने से यह रोग ठीक हो जाता है।

= बादाम, तुलसी तथा काली मिर्च को पीसकर तथा इसके मिश्रण में शहद मिलाकर प्रतिदिन खाने से यह रोग ठीक हो जाता है।

= तुलसी का रस, शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने याद्दाश्त  मजबूत होती है। बादाम का तेल नाक में प्रतिदिन डालने से याद्दाश्त मजबूत होती है।

= इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन जलनेति क्रिया करनी चाहिए। इसके बाद टबस्नान, कटिस्नान करना चाहिए। इसके बाद मेहनस्नान करने से यह रोग ठीक हो जाता है।

= इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की योगिक क्रिया तथा योगासन हैं, जिसे प्रतिदिन करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन तथा यौगिक क्रिया इस प्रकार हैं- भस्त्रिका, प्राणायाम, नाड़ीशोधन, पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन, शवासन, योगनिद्रा, ध्यान अभ्यास तथा ज्ञानमुद्रा करने से रोग में फायदा मिलता है।

लक्षण

जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है, तो उसके सिर में हल्का दर्द रहता है। शोर बर्दाश्त नहीं होता है, एकाग्रता नहीं रख पाता है, तथा वह किसी भी बात तथा किसी भी चीज को याद नहीं रख पाता है।

कारण 

= यह रोग दिमाग (मस्तिष्क) में रक्तसंचार की कमी हो जाने के कारण होता है।

= बहुत अधिक समस्याओं में उलझे रहने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

= सिर पर किसी दुर्घटना के कारण तेज चोट लगने तथा किसी दिमागी बीमारी के कारण भी यह रोग हो सकता है। अत्यधिक मानसिक बीमारी होने के कारण भी यह रोग हो सकता है।