गन्ने का रस थोड़ा सा गुनगुना कर इसमें नमक व काली मिर्च का पाउडर मिल दिन में 2-3 बार पी लें। इससे गले-श्वास नली- फेफड़ों के सारे अवरोध दूर होंगे। गन्ने का रस निकालने वाले को बोलें कइ इसमें वो पानी - बर्फ या नमक मसाला कुछ ना मिलाए-बस आप प्योर गन्ने का ज्यूस घर ला उसे चूल्हे पर रख हल्का गुनगुना गरम करें- काली मिर्च पाउडर और नमक डाल पिए।
पानी में लहसुन का रस दाल कर गरारे करें
आवाज खूल जाएगी और गले का दर्द भी नहीं रहेगा। अगर गरारों से छैन नं भी मिले तो लहसुन की 2-3 छील कट सिरके में डुबोकर चबाएं।
नीम की पत्तियों का रस निकाल हल्का गर्म करें
इसमें आप 5-7 बुँदे शहद की भी मिला गरारे करें गले की जलन शांत करने व कफ हटाने में यह रेमेडी तुरंत असर करेगी।
ऊंची आवाज में बोलने या थकान के कारण गले की नसों पर तनाव आने से गला दर्द भी करने लगता है व बैठ भी जाता है।
तुलसी दल(मतलैब तुलसी के पत्ते- टहनी- फूल- बीज यानि एक टहनी तोड़ लें) का रस एक छोटा चम्मच निकाल उसमें 1 बीटा चम्मच शहद मिल चाट लें - इससे गल खूल जाएगा।
रात को मुट्ठी भर काले चने भिगो दें
● सुबह इन चनों को पानी से निकाल दल मसल कर 250 ग्राम दूध में उबालें -थोड़ा हल्का गर्म रहने पर इसमें 2 चम्मच शहद मिल घूंट घूंट कर पी जाएं - गल खूल जाएगा ।
● रोटी बनाते समय गेहूं का आता छानते समय जो चौकर चलनी में बचता है वह एक चमच चौकर 1 कप पानी में दाल बर्तन के थक्कन लगा उबले-इसमें चाय की तरह दूध शक्कर भी मिल घूंट घूंट कर पी जाएं - गला खूल ही नहीं जाएगा- बैठ हुवा गला उठकर दौड़ना शुरू कर देगा।
● 10 ग्राम अदरक का रस और -10 ग्राम ही शहद मिला चाट लें। गले के सब रोगों का अक्सीर उपचार है ।
● झार बेरी ( झड़ी नुमा बेर का पौधा होता है इसके छोटे छोटे बैर लगते हैं) की 10 ग्राम पत्तियां ले उनमें 2 ग्राम नमक डाल पिसाकर 10 ग्राम शहद में मिल 4-4 घंटे बाद दो बार चाट लें- इससे गला खूल जाएगा।