Latest New

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

शरीर को डिटॉक्स के साथ जोड़ों में दर्द से भी राहत दिलाती है मिट्टी चिकित्सा.....!

    2-3 फिट नीचे जमीन से निकली गई मिट्टी को ही चिकित्सकीय प्रयोग में लिया जाता है। पहले धूप में सूखते भी है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार शरीर पंचमहाभूतों से मिलकर बना हुआ है। एक कहावत है। "क्षिति जल पावक गगन समियार पंचतत्व मिल बना शरीरा" जब इनसे मिलकर ही शरीर बना है तो जब कोई भी शारीरिक एवं मानसिक विकृति आती है, तो उसके उपचार के लिए इन्हीं महा पंचमहाभूतों से उपचार करना प्राकृतिक उपचार कहलाता है।

त्वचा रोगों में

    विभिन्न प्रकार के त्वचा संबंधी रोगों के लिए मिट्टी हो पतला पेस्ट बनाकर पूरे शरीर पर या फिर जहां त्वचा पर एलर्जी है। वहाँ लगाएं। मिट्टी के साथ नीम की चटनी व हल्दी मिलने पर यह त्वचा की एलर्जी सोयरसिस एग्जीमा में अत्यंत लाभकारी है।

दीमक वाली मिट्टी भी उपयोगी

काली या मुल्तानी मिट्टी में सफेद चंदन पाउडर मिलाकर चेहरे पर लेप करने से के मुँहासे -फोड़े-फुंसी-दाग- धब्बे देर होते है।

ठंडी पट्टी का उपयोग

    मिट्टी क पत्तियों को ठंडी एवं गरम पट्टी दो तरह से इस्तेमाल होता है। मिट्टी को ठंडे पानी के साथ 8 घंटे तक भिगोने के बाद पत्तियां बनाकर माथे, पेट, आँखों, रीढ़ की हड्डी आदि पर लगाएं। ये शरीर को डिटॉक्स करने का काम करती है शरीर की गर्मी भी दूर होती है।

गर्म पट्टी के लाभ

    मिट्टी को पानी के साथ गर्म करके पट्टी जहां दर्द है, उस हिस्से पर लगाने से दर्द निवारक का काम करती है। जैसे गर्म मिट्टी की पट्टी घुटनों, एडी, कोहनी, कलाई, कंधे, गर्दन एवं कमर दर्द के लिए लाभकारी होती है। इसके पतले घोल से मालिश भी कर सकते है।