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यदि लाइफस्टाइल बदलेंगे तभी घटेगा आपका मोटापा !



    शरीर को स्वस्थ रखने में मोटापा एक बड़ी बाधा है। मोटापा के कारण शरीर कई बीमारियों का शिकार बन सकता है। लेकिन कुछ सजगताओं पर अमल कर मोटापे से छुटकारा पाया जा सकता है....

    दुनिया भर में मोटापे के सामने मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल में हुए एक अध्ययन के अनुसार शहरी क्षेत्रों में आने वाले 16 फ़ीसदी भारतीय मोटापा से ग्रस्त है।

    वहीं 39 प्रतिशत भारतीय बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के आकलन के अनुसार मोटापे से ग्रस्त हैं। बीएमआई टेस्ट मोटापे को मापने का एक व्यवहारिक सटीक तरीका है और इसके जरिए मोटापे और इससे संबंधित रोगों का पता लगाया जाता है। आमतौर पर 20 से 25 बीएमआई वाले लोगों को मोटापे से ग्रस्त नहीं माना जाता है। वहीं 25 से अधिक बीएमआईवाले लोगों को मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों की श्रेणी में रखा जाता है।

मोटापा और रोग

    वस्तुतः मोटापा कई रोगों का कारण है। मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय धमनी रोग व हार्ट अटैक और स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) होने का खतरा बढ़ जाता है।

बच्चे में मोटापा

    बच्चों में मोटापा का बढ़ना भी इन दिनों गंभीर समस्या बन चुका है। समस्या के समाधान के लिए अभिभावकों को बच्चों में खान-पान की स्वास्थ्यकर आदतें डालनी चाहिए।

    बच्चों को गोल-मटोल नहीं बनाना चाहिए। उनके टेलीविजन देखने की घंटों को सीमित करें और उन्हें व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें। साथ ही जंक फूड से बच्चों को दूर करने के लिए प्रेरित करें।

खान-पान की आदतों को बदले

    असल में लोगों में मोटापे के बढ़ने के लिए कई कारण उत्तरदाई है। सामाजिक व आर्थिक कारण वह पश्चिमी जीवनशैली पर अंधानुकरण अमल करने से लोगों की खानपान की आदतों में बुनियादी बदलाव हुआ है, डिब्बाबंद या पैकेज्ड, खाद्य पदार्थ, खाना बनाने में तेल का अधिक इस्तेमाल, जंक फूड्स का बढता चलन और शारीरिक परिश्रम के अभाव से मोटापे का प्रकोप समाज के विभिन्न वर्गों में बढ़ता जा रहा है।

वजन बढ़ने का पहला लक्षण

    मोटापे से ग्रस्त होने का पहला लक्षण उच्च रक्तचाप ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त होना है। अगर आप व्यायाम व शारीरिक गतिविधियों से दूर रहते हैं, तीस पर धूम्रपान भी करते हैं। यह स्थिति सेहत के लिए खतरे की घंटी है। गौरतलब है कि जो लोग हार्ट अटैक और स्ट्रोक की पीड़ा झेल चुके हैं, उनमें से आधे लोगों को पूर्व में इन रोगों के कोई लक्षण प्रकट नहीं हुए थे। इसलिए हार्ड अटैक और स्ट्रोक से संबंधित जोखिमों को पहचानना जरूरी है, तांकि इन रोग से होने वाली मौतों को कम किया जा सके।

जीवनशैली में बदलाव

    जीवनशैली में सकारात्मक बदलावों जैसे नियमित व्यायाम करने और खान-पान में जंक फूड्स व चिकनाई युक्त आहार से परहेज करने से मोटापे और इससे होनेवाले रोगों पर अंकुश होने लगाया जा सकता है।

    अगर इन सकारात्मक परिवर्तनों के बावजूद ब्लडप्रेशर या कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की समस्या नियंत्रित नहीं है, तो फिर विशेषज्ञ डॉक्टर के परामर्श से रक्त को पतला करने वाली दवाइयां दी जाती है।

सकारात्मक सोच का महत्व

    बहरहाल आप बच्चों हो या वयस्क, पुरुष हो या महिला आपको प्रतिदिन नियमित रूप में खान-पान में हरी सब्जियों और फलों को वरीयता दें। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात जिंदगी के प्रति सकारात्मक सोच रखने की है, क्योंकि नकारात्मक सोच तनाव को पैदा करती है और तनाव दिल की सेहत अलावा आपके संपूर्ण स्वास्थ्य का शत्रु है।