शिरोधारा एक ऐसा उपचार है, जो खूबसूरती निखारने के साथ-साथ मेडिटेशन का भी काम करता है और इससे कोई नुकसान भी नहीं होता। यह हमारे शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
शिरोधारा यह शब्द, दो शब्दों से बना है- शिर यानी सिर और धारा मतलब प्रवाह। जब किसी तरल पदार्थ को ललाट के मध्य स्थान से थोडा ऊपर से धारा के रूप में कुछ समय बिना रूके गिराया जाता है तो उसे ‘शिरोधारा’ कहते हैं। इससे मन हल्का होता है और हमारी एकाग्रता की शक्ति बढती है।
कौन से तेल का इस्तेमाल करें
वात और कफ के रोगी के लिए हल्के गर्म तेल का इस्तेमाल किया जाता है, और पित्त के रोगी के लिए ठंडे तेल का इस्तेमाल होता है।
स्वस्थ व्यक्ति के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, लेकिन रोगी के लिए डॉक्टर ही तय करेंगे कि उन्हें किस समय शिरोधारा करवाना चाहिए।
क्या हैं फायदे
* यह नर्व सिस्टम को ठीक रखता है। मानसिक क्षमताओं का विकास करता है। मानसिक रोग में लाभ देता है। इससे मेडिटेशन भी हो जाता है।
* यह हमारी नसों को रिलॅक्स करता है। लकवे में भी इससे आराम होता है।
* सिर के जितने भी रोग हैं, उनमें इससे लाभ होता है। तनाव से राहत पाने के लिए शिरोधारा सबसे अच्छा माध्यम है। इससे माइग्रेन ठीक हो जाता है।
* शिरोधारा को महीने में दो बार कराने से झडते हुए बालों की समस्या भी काफी हद तक खत्म हो जाती है।
* यह बीपी को नियंत्रित करता है, लेकिन निम्न रक्तचाप के रोगी को शिरोधारा उपचार नहीं किया जाता है।
* जिनको सर्वाइकल की समस्या है, उनको शिरोधारा उपचार जरूर करवाना चाहीए।