युवावस्था में मुंहासे एक मुसीबत बन जाते हैं क्योंकी आमतौर पर इसी उम्र के युवक-युवतीयों के चेहरों पर इनका प्रकोप होता है। प्राकृतिक मुसीबत को युवक-युवती अनजाने में तब और भी बढा लेते हैं, जब वे इन्हें हाथ से नोच कर नष्ट कर ना चाहते है। परिणाम स्वरूप चेहरे पर अनेक धब्बे व गढ्ढे पड जाते है और चेहरा विकृत सा दिखने लगता है। आमतौर पर युवकों की अपेक्षा युवतियों पर इनका प्रकोप अधिक पाया जाता है। कभी कभी इनका प्रकोप इतना अधिक हो जाता है कि, बाकायदा इनका इलाज कराने की नौबत आ जाती है।
युवावस्था में मुंहासे प्रायः हार्मोन्स परिवर्तन के कारण होते है। पाचन तंत्र की गडबडी और कब्ज के कारण भी, कभी कभी मुंहासे हो जाते है। मुंहासे माहवारी से पहले या अधिक पसीना आने पर अधिक जोर पकडते है। मुंहासे के दाने इस तरह बनते हैं-त्वचा के नीचे तेल ग्रंथिया होती है जिनसे तेल निकलता रहता है। यह तेल जमकर जब रोमछिद्रों को बंद कर देता है तो त्वचा की बाहरी सतह पर सफेद या काले खूंट बन जाते है जिससे लसिका ग्रंथियों का मुंह बंद हो जाता है तथा त्वचा के भितर से निकलने वाला यह वैलीय पदार्थ अंदर ही अंदर सुख कर मुंहासों का रूप धारण कर लेता है।
मुंहासों से बचने हेतू सावधानियां
* चेहरे पर अच्छी क्रीम अच्छे साबुन का प्रयोग करना चाहिए।
* पेट हमेशा साफ रखना चाहिए, खुब पानी पीना चाहिए तथा रोज खुली हवा में घुमना चाहिए।
* ठंडी चीजों जैसे मौसमी का जूस, संतरा आदि का ज्यादा सेवन करना चाहिए।
* चेहरे को हफ्ते में एक बार भाप देनी चाहिए।
घरेलू उपचार
* रात को मुंह धोने के बाद ग्लिसरीन व नींबू के घोल से हल्के- हल्के मालिश करें। इससे चेहरे की त्वचा मुलायम व सुंदर होती है।
* आलू को उबाल कर जिस पानी में आलू उबाला गया हो, उसी पानी में आलू के छिलके आलू के गूदे को पीस कर गाढा लेप तैयार करके चेहरे पर लगाएं। इसके प्रयोग से मुंहासे मिट जाते है तथा चेहरा भी चमकदार हो जाता है।