कहीं भी, कभी कभी लजीज व्यंजन के भरोसे डिब्बा बंद खाद्य पदर्थों को पश्चिमी तर्ज पर परोसा जा रहा है, जिसके चलतें भारतीय व्यंजन, फीके पडने लगे है। महंगा फास्ट फूड खरीदकर अपनी सेहत बिगाडने वाले लोग आधुनिकता का दंभ भरते नजर आते हैं। मगर धीरे-धीरे इनका दुष्प्रभाव शुरू होता है, जब चिकित्सों के भरोसे वे अपने जीवन की गाडी घसीटने को मजबूर हो जाते हैं।
रसायनों की रंगत रोगों की संगत ः नूडल्स खाने में स्वादिष्ट इसलिए लगता है, क्योंकि इसमें मिलाया जाने वाला रंग स्वादग्राही कोशिकाओं को भ्रमित कर देता है। स्वाद रहित रसायन से नूडल्स अधिक समय तक तरोताजा बना रहता है। लंबे समय तक नूडल्स के सेवन से स्वादग्रही कोशिकाएं अपनी प्राकृतिक शक्ति खो देती हैं। परिणामः भूख न लगने की बीमारी हो जाती है। स्वाद को बढाने वाले और भोजन को तरोताजा रखने वाले रसायन भी घातक हैं, र्अजीनोमोटो नामक रसायन दुकानों में सहजता से उपलब्ध है यह बासी खाद्य पदार्थों को तरोताजा बना देता है। लेकिन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सिध्द होता है। शाकाहारियों को तो इससे अवश्य बचना चाहिये क्योंकि ये जैविक चर्बी से बनता है। भोजन में स्वाद को बढाने वाले सेक्रीन, साइक्लोमेट, एमेसल्म, तीनों कॅन्सरकारी माने गए हैं।