प्रदुषण की निरंतर वृद्धि ने अनेक रोगों को जन्म दिया है। इसमें से एलर्जी भी एक समस्या है। एलर्जी स्वयं में कोई गंभीर बीमरी न होते हुएं भी मनुष्य को कष्ट देने वाली एक ऐसी लाक्षणिक शारीरिक प्रवृत्ति है। वास्तव में एलर्जी क्या है?
जब शरीर की प्रतिरोध शक्ति बाहरी करणों का प्रतिरोध नहीं कर पाती है, तो किसी न किसी रूप में उसके लक्षण प्रकट होने लगते हैं और यही एलर्जी कहलाती है। हमारे शरीर की सुरक्षा पद्धति को घरेलू चौकीदार की संज्ञा दी जा सकती है। जैसे चौकीदार घरवालों के अलावा दूसरों को बिना इजाजत अंदर आने नहीं देता, उसी तरह तब कोई बाहरी वस्तु शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करती है, तो हमारी सुरक्षा पद्धति उसका विरोध करती है। इस विरोध के फलस्वरूप जो नुकसान शरीर के तंतुओं को उठाना पडता है वह एलर्जी के लक्षणों के रूप में प्रकट होता है। बाहरी तत्व धूल, पराग, हवा, खाद्य पदार्थ का या दूसरी अन्य वस्तुओं में होते हैं।
एलर्जी की चिकित्सा पद्धति में हमने अभी तक केवल इतनी ही प्रगती की है कि, अब लोग यह मानने लगे हैं कि, एलर्जी भी एक बीमारी है। कई बार ऐसा देखा गया है कि, एक परिवार के कई सदस्यों में एक ही तरह की एलर्जी के लक्षण होते हैं। एलर्जी के लक्षण अनुवंशिक नहीं होते या इसके द्वारा पतिपदित बीमारी अनुवंशिक नहीं होती है, बल्कि इसकी प्रवृत्ति अनुवंशिक हो सकती है। कुछ लोगों में एलर्जी की प्रवृत्ति जन्म से हो सकती है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि, उनके जन्म के समय ही लक्षण पैदा हों। वैसे सामान्यत: जन्म के बाद छ: माह से लेकर जिंदगी में कभी भी लक्षण पैदा हो सकते हैं।
अगर मां-बाप दोनों को एलर्जी हो तो 52 प्रतिशत बच्चों में इसकी प्रवृत्ति हो सकती है और अगर एक को अॅलर्जी हो तो 38 प्रतिशत बच्चों में इसकी संभावना होती है। लगभग बीस प्रतिशत लोग अपने जीवनकाल में कभी न कभी एलर्जी से पीडित होते हैं। प्रोफेसर जोहांसरिंग तथा अंसर्ड आगस्तस्टेमान का कहना है कि, दो व्यक्ति यदि एक साथ रहते हैं तो बहुत संभव है कि, एक दूसरें के कारण उन्हें परस्पर एलर्जी हो जाए। मानसिक क्रोध करने वाले मरीजों से उनके बच्चों को एलर्जी हो सकती है। एलर्जी के कारण स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पडता है। एलर्जी से ग्रस्त व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार न होते हुए भी कार्य कर पाने में कठिनाई महसूस करता है। अॅलर्जी मनोकाईक भी हो सकती है।