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निरोगी रखे शुद्ध वायु : खुली हवा में जाकर कुछ देर गहरी-लंबी सांसे लें।

 



लंबे गहरे सांस लेना, वह भी शुद्ध वायु में, अपने शरीर को निरोगी बनाने के लिये बहुत जरूरी है। शुद्ध वायु से ही हम ऑक्सीजन पाते हैं। सुबह के वातावरण में आक्सीजन के साथ ओझोन भी होती है। यही हमारे शरीर में जाकर फेफडों को ही नहीं, बल्कि पुरे शरीर को सजीवता प्रदान करती है। हम हर चार सेकेंड में श्‍वास तथा नि:श्‍वास पूरा करते हैं। एक मिनट में ये दोनों क्रियाएं लगभग 15 बार पूरी होती है।

  • शरीर में विद्यमान जीव कोषों की टूट-फूट एवं अन्य प्रकार से ऑक्सीजन प्रयोग में आकर कार्बन डाय आक्साइड पैदा होती है। यह अशुद्ध गैस है, शरीर की गंदगी है, जिसे बाहर निकालना बहुत जरूरी है। यह महत्वपूर्ण कार्य श्‍वास के द्वारा ही पूरा होता है।

  • चूंकि हमारा श्‍वास चलता है, इसके लिए हमें कुछ विशेष नहीं करना पडता। इसलिए हम इसे महत्व नहीं देते। श्‍वास प्रक्रिया ही जीवन है।

  • ऑक्सीजन, जो हमारे श्‍वास के साथ अंदर जाती है। खुली शुद्ध वायु में अधिक होती है। अत: हमें खुले में जाकर लंबे, गहरे सांस लेने चाहिये, ताकि शरीर के हर कोष तक यह ऑक्सीजन पहुंच सके तथा अशुद्ध कार्बन डायआक्साइड बाहर निकल सके। इससे रक्त भी शुद्ध हो जाता है।

  • यदि ऑक्सीजन की सहायता से रक्त शुद्ध हो जाता है, तो पूरे शरीर को इसका लाभ होता है।

  • ऑक्सीजन का महत्व तब समझ में आता है, जब किसी रोगी को कृत्रिम ऑक्सीजन पर रखकर जीवित रखने का प्रयत्न होता है।

जब कोई व्यक्ति बीमार होकर बिस्तर में पडा होता है। उसके शरीर में कार्बन डायआक्साइड की मात्रा बढ जाती है। यही उसे अधिक अस्वस्थ रखती है। शुद्ध वायु पहुंचना संभव नहीं हो पाता, इसीलिए उसको ठीक होने में अधिक समय चाहिये होता है।