अमेरीका में एक खोज अनुसार, अमेरीका की नई पिढी मोटापे के कारण कई भयंकर बीमारियों की चपेट मे आई है और इससे उनके परीवारजन काफी परेशान हो गए हैं।
अमेरीका में मोटापा गंभीर समस्या बन चुकी है। 1980 के बाद 2 से 19 की आयु के लोगों में मोटापे के कारण बच्चों को छोटी उम्र में वयस्कों की बीमारीयां होने लगी हैं।
किंबरले रोड्स के मेडिकल रिकॉर्ड पर नजर डालने से अमेरिका की, 21 वी सदी की स्वास्थ्य समस्याओं को समझा जा सकता है। पिछले तीन वर्ष में उसका वजन 8.6 किला बढा है। उसके शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध विकसित हो चुका है। यह डायबिटीज की, पुर्व अवस्था है। लिवर पर चर्बी की कई परत चढने से सिरोसिस हो गया है। लीवर में इंजाइम का निर्माण 84 प्रतिशत कम हो रहा है। फिलहाल उसका ब्लड प्रेशर सामान्य है। फॅमिली डॉक्टर और पेट रोग विशेषज्ञ उसका नियमित इलाज करते हैं। यह हाल दो तिहाई अमेरिकी वयस्कों का है, जिनका वजन अधिक है, या जो मोटे हैं। किंबरले 12 वर्ष की है। उसकी माँ, स्टेसी कहती है, बच्ची की हालत देखकर मेरा दिल दुखता है। कोई भी अभिभावक नहीं सुनना चाहेगा कि, आपकी संतान बीमार है, और उसे ऐसी बीमारी है कि, जिससे वह मर भी सकती है। यह अमेरिकी दुस्वप्न है। जन्म के समय बच्चों की एक पिढी की संभावित आयु अपने माता-पिता से कम हो सकती है। मोटे बच्चो को दिल की बीमारी, डायबीटीस, ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है। उनमे सामान्य वजन के अपने साथियों की तुलना मे कुछ क़िस्म कैंसर होने की आशंका रहती है।
किसी पिढी का समय से पहले बीमार पडना बेहद चिंताजनक है। इन बच्चों को वयस्कों की बीमारीयां ही नहीं हैं, बल्कि वे कई मायनों में वयस्क बन रहे हैं। वे बडी मुश्किल से, दस वर्ष के हो पाएंगे और उनका शरीर जवान होने लगेगा। उनके क्रोमोसोम अधिक आयु के लोगों के समान हो जाने के संकेत देने लगेंगे। उनके ऊतकों (टिश्यू) को ऐसा नुकसान हो रहा है जो केवल उनके अभिभावकों या दादाओं की पिढियों में देखा गया था। उनकी कोशिकाओं को माइक्रोस्कोप के नीचे रखा जाए, तो वे किसी वयस्क व्यक्ति की कोशाएं प्रतीत होंगी। लाखों स्कूली बच्चों को ऐसी दवाइयां दी जा रही हैं, जिन्हें 40 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए।
उच्च कोलेस्ट्रॉल, हाईपरटेंशन और अन्य बीमारीयों से पिडीत बच्चों कों, वयस्कों की दवाइयों लेने के, साइड इफेक्ट भी होंगे। जैसे पेट दर्द, मासंपेशियों की कमजोरी, थकान आदि। इसके साथ मोटापे के कारण जिस बच्चे में आयु बढने की प्रक्रिया तेज होगी वह कभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सकेगा। लिवर के क्षतिग्रस्त टिश्यू कभी पूरी तरह ठीक नहीं हो सकेंगे। कोशिकाओं के ध्वस्त हो चुके क्रोमोसाम बेकार हो जाएंगे। मोटापे से मेटाबॉलिज्म में ऐसे बदलाव हो सकते हैं कि, बाद में भले ही वजन कम हो जाए लेकिन भोजन पचाने की, प्रक्रिया पहले जैसी नहीं हो सकेगी।
हयूस्टन की इवा अमेडोर ने पिछले साल अपने दस वर्षीय बेटे एरिक का वार्षिक हैल्थ चेकअप कराया था। उसकी उंचाई 4 फीट 8 इंच और वजन 48 किला था। उन्हें लगा कि, कुछ समय बाद उसका वजन कम हो जएगा। लेकिन, खून की जांच के नतीजों ने इवा को हैरत में डाल दिया। उसका कोलेस्ट्रॉल 266 पहुंच चुका था। डॉक्टर ने लिवर का अल्ट्रासाउंड कराया। पता लगा कि, उसके लिवर का आकार जरुरत से ज्यादा बडा है। लिवर की ऐसी स्थिती सामान्यतः 50 वर्ष की आयु के लोगों की रहती है।
शराबखोरी से लिवर की ऐसी हालत होती है। वैसे, एरिक के लिवर का आकार शराब की वजह से नहीं चर्बी से बढा है। विश्व में फैट के कारण लिवर का आकार बढने की बीमारी तेजी से फैल रही है। अमेरिका में ऐसे बच्चों की संख्या पिछले कुछ वर्षो में दोगुनी हुई है। 1988 से 1994 के बीच 4 प्रतिशत बच्चे फैटी लिवर से पीडित थे। 2007 से 2010 के बीच यह प्रतिशत 11 हो गया। क्लीवक्लैंउ क्लीनिक के डायरेक्टर डॉ. नईम अलखौरी का कहना है, उनके लिवर वर्षो से शराब पीनेवाले व्यक्ति के समान दिखते हैं। बच्चों को सिरोसिस हो सकता है।
मेयो क्लिनिक के डायरेक्टर, डॉ. जेम्स किक्रलेड कहते है, मोटापे से, ऐसा कुछ होता है, जिसे बुढापे की बुनियादी प्रकिया से जोड़ा जा सकता है। चर्बी से प्रभावित कोशिकीओ के कारण दूसरी कोशिकीओ की आयु भी समय से पहले बढ़ने लगती है। बहरहाल, अमेरिका के कई राज्यों मे बच्चो के मोटापे पर नजर रखने के कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। टेक्सास के स्कूलों मे गर्दन के पीछे चमड़ी के काले और मोटे होने पर अभिभावको को, फ़ौरन सतर्क होने की हिदायत दी जाती है।
कई बीमारियों की बुनियाद है मोटापा
अधिक वजन के बच्चो का बुढापा तेजी से आएगा। उन्हें वयस्कों जेसी बीमारियाँ होगीं। ज्यादा वजन शरीर पर इस तरह असर डालता हैं-
ब्रेन
मोटे बच्चे डिप्रेशन से अधिक प्रभावित रहते है। उनकी शारीरिक छवी का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनमें आत्मविश्वास कम रहता है।
गला
ऊतको की अधिकता से वायु की, आवाजाही के रास्ते सिकुडते हैं। स्लीप एपनिया होता है, जिसमे सांस थोडी-थोडी देर के लिए रूकती है।
हरमोंन्स
एडिपोज़ टिश्यू की अधिकता से, योन अंग की जल्द विकसित होंगे| योवन दस वर्ष की आयु मे आ जाएगा।
दिल
कोलेस्ट्रोल बढ़ने से धमनियों की, दीवारे मोटी होती है। खून का प्रवाह कम होने से दिल की बिमारियो का खतरा बढ़ता है।
त्वचा
गले पर, काख पर गहरे रेशमी धब्बे, डायबिटीज जैसी मोटापे से जुडी बीमारियों के लक्षण हैं।
किडनी
लगातार हाय ब्लड प्रेशर से किडनी को नुकसान पहुंचता है। किडनी फेल हो सकती है।
पेंक्रियास
चर्बी की अधिकता इन्सुलिन के जरिये खून मे शक्कर कि मात्रा को नियंत्रित करने की, क्षमता को शक्तिग्रस्त करती है। इससे टाइप-2 डायबिटीज होती है।