Latest New

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

क्या पित्ताशय की पथरी कैंसर बन सकती है?

 

पित्त की थैली में पथरी (गॉल ब्लैडर स्टोन) यदि काफ़ी अरसे तक बरकरार रहती है, तो वह पित्ताशय के कैंसर में तब्दील हो सकती है। इस दौरान पथरी का आकार तीन सेंटीमीटर से भी बडा हो जाता है। एैसी स्थिती में पित्ताशय को सर्जरी के जरिये निकालने के सिवाय कोई विकल्प शेष नहीं बचता। आज पथरी के उपचार के लिए पारंपरिक शल्य क्रिया के अलावा बगैर चीर-फ़ाड वाली नवीनतम चिकित्सा तकनीकें जैसी लैप्रोस्कोपी और इंडोस्कोपी लेजर आदि का बखूबी इस्तेमाल होने लगा है।

अब पित्ताशय कैंसर के इलाज में (Intensity Guied Radiation) यानी आई. जी. आर. टी. तकनीक का इस्तेमाल काफ़ी मददगार साबित हो रहा है। ‘आई जी आर टी’ उपचार के लिए डॉक्टर, सीटी स्कैन कर ‘प्री ट्रीटमेंट प्लानिंग’ कर लेते हैं, जिसके अंतर्गत कैंसरग्रस्त भाग, फेफ़डे, दिल, रीढ की हड्डी को रेखांकित कर दिया जा है, फिर कंप्यूटर पर एक रेडियोथैरेपी प्लान तैयार किया जाता है। इस प्लान में अन्य जटिल अंग रेडिएशन की उच्च किरणों के संपर्क में नहीं आते। इसके बाद प्लान के अनुसार सही रेडिएशन दिया जाता है। रोजाना मरीज को रेडिएशन देने से पहले डॉक्टर मरीज का 2/3 डाइमेशनल इमेज खींचते हैं, ताकि ये निर्धारित किया जा सके कि, दिल और फेफ़डे रेडिएशन के उच्च संपर्क से बाहर रहें। इसके बाद ही मरीज को रेडिएशन दिया जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि, मरीज के ये अंग दुष्प्रभावों से बचे रहते हैं।