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उदासी का कारण जीवन शैली में तो छिपा नहीं ?

प्रश्न: मैं उदास क्यों हूं? क्या ऐसे ही, व्यर्थ ही समाप्त हो जाना मेरी नियति है?

उदास हो तो अकारण नहीं हो सकते। तुम्हारे जीवन-दर्शन में कहीं भूल होगी। तुम्हारा जीवन-दर्शन उदासी का होगा। तुम्हें चाहे सचेतन रुप से पता हो या न हो, मगर तुम्हारी, जीवन जीने की शैली स्वस्थ नहीं होगी, अस्वस्थ होगी। तुम जीवन को ऐसे ढो रहे होओगे जैसे कोई बोझ को ढोता है।

मैंने सुना है, एक संन्यासी हिमालय की यात्रा पर गया था। भरी दोपहर, पहाड की ऊंची चढाई, सीधी चढाई, पसीना-पसीना, थका-मांदा हांफता हुआ अपने छोटे-से बिस्तर को कंधे पर ढोता हुआ चढ रहा हैं। उसके सामने ही एक छोटी-सी लडकी, पहाडी लडकी अपने भाई को कंधे पर बैठाए हुए चढ रही है। वह भी लथपथ है पसीने से। वह भी हांफ रही है। संन्यासी सिर्फ सहानुभूति में उससे बोला, ‘बेटी तारे ऊपर बडा बोझ होगा।’ उस लडकी ने, उस पहाडी लडकी ने, उस भोली लडकी ने, आंख उठाकर संन्यासी की तरफ देखा और कहा, ‘स्वामी जी! बोझ तो आप लिए हैं, यह मेरा छोटा भाई है।’

बोझ में और छोटे भाई में कुछ फर्क होता है। तराजू पर तो नहीं होगा। तराजू को क्या पता कि, कौन छोटा भाई है और कौन बिस्तर है! तराजू पर तो यह भी हो सकता है कि, छोटा भाई ज्यादा वजनी रहा हो। साधु का बंडल था, बहुत वजनी हो भी नहीं सकता। पहाडी बच्चा था, वजनी होगा। तराजू तो शायद कहे कि बच्चे में ज्यादा वजन है। तराजू कि अपने ढंग होते हैं मगर हृदय के तराजू का तर्क और है।

उस सन्यासी का नाम था भवानी दयाल- उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि, उस लडकी ने जो बात कही, उसकी मुझे ऐसी चोट पडी कि, इस छोटी-सी बात को मैं अब तक न देख पाया? इस भोली-भाली लडकी ने कितनी बडी बात कह दी! छोटे भाई में बोझ नहीं होगा। जहां प्रेम है वहां जीवन निर्भार होता है।

तुम्हारा जीवन-दर्शन भ्रांत है इसलिए तुम उदास हो। हालांकि तुमने जब प्रश्न पूछा होगा तो सोचा होगा कि, मैं तुम्हें कुछ ऐसे उत्तर दूंगा जिनसे सांत्वना मिलेगा, मैं कहूंगा कि, ‘नही-पिछले जन्मों में कुछ भूल-चूक हो गयी है, उसका फल तो पाना पडेगा। अब निपटा ही लो। किसी तरह बोझ है, ढो ही लो खींच ही लो।’ राहतें मिलती हैं ऐसी बातों से। क्योंकि अब पिछले जन्म का क्या किया जा सकता है? जो हुआ सो हुआ। किसी तरह बोझ है, ढो लो। मैं तुमसे यह नहीं कहता की, पिछले जन्म कि भूल है, जिसका तुम फल भोग रहे हो। अभी तुम कहीं भूल कर रहे हो, अभी तुम्हारे जीवन के दृष्टिकोण में कहीं भूल है। पिछले जन्मों पर टालकर हमने खूब तरकीबें निकाल लीं। असल में पिछले जन्म पर टाल दो तो फिर करने को कुछ बचता नहीं, फिर तुम जैसे हो सो हो। अब पिछला जन्म फिर से तो लाया नहीं जा सकता । जो हो चुका सो हो चुका। अब तो ढोना ही होगा, खींचना ही होगा, उदास रहना ही होगा।

नहीं, उदास रहने की कोई भी जरूरत नहीं है, मेरी मानों तो, जब भी तुम शुभ करते हो, तत्क्षण तुम पर आनंद की वर्षा हो जाती है। देर-सबेर नहीं होती तुमने कहावत सुनी है कि, ‘उसके जगत में देर है, अंधेर नहीं।’ मैं तुमसे कहता हूं कि, देर हुई तो अंधेर हो जाएगा। न देर है न अंधेर है, सब नगद है। तुम जरा फिर से पुनर्विचार करो, अपनी जीवन-शैली को थोडा जांचो।