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स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरुरी है उपवास करना

 

उपवास केवल एक धार्मिक साधना ही नहीं है, बल्कि यह सेहत को संतुलित बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भुमिका निभाता हैं। जानते हैं इससे होनेवाले लाभ...

माना तो यहां तक जाता है की, इससे कैंसर की बीमारी तक ठीक हो सकती हैं। क्योंकि, उपवास से टयूमर के टुकडे तक हो जाते हैं। उपवास करने वाले की श्‍वासोच्छवास, विकार रहित होकर गहरी और बाधा रहित हो जाती है। इससे स्वाद ग्रहण करने वाली ग्रंथियां पुनःसक्रिय होकर काम करने लगती हैं। उपवास आपके आत्मविश्वास को इतना बढा सकता है कि, आप अपने शरीर, जीवन और क्षुधा पर अधिक नियंत्रण पा सकें।

किस प्रकार लाभदायक

हमारा शरीर स्वनियंत्रित एवं खुद को ठीक करने वाली प्रजाति का हिस्सा है। उपवास के जरिए यह अपने मेटाबॉलिज्म को सामान्य स्तर पर ले आता है तथा ऊतकों की प्राणवायु प्रणाली को पुनर्जीवित कर सकता हैं। उपवास आपके शरीर के विषैल तत्वों को बाहर निकाल फेंकता हैं। शरीर में जमे विषैले तत्व, श्‍लेषा, थूंक, पसीना, उल्टियां, कभी-कभी दस्त के रुप में बाहर निकलते हैं। यह वजह है कि, जो लंबे उपवास (3 दिन या 7 दिन) करते हैं, उनकी सांसों से दूसरे दिन ही बदबू आने लगती है। कई लोगों को उल्टियां आने लगती हैं। ये सब विषैल तत्वों के बाहर निकलने के लक्षण हैं। फैट सेल्स, आर्टरी में जमे वसा के थक्के, श्‍लेषा तथा यहां तक कि, बरसों से जमा रखी हुई चिंताएं और भावनाएं भी बाहर निकल आती हैं, परन्तु उपवास का अर्थ भूखे मरना नहीं होता। वस्तुतः उपवास, शरीर रुपी मशीन के पाचन तंत्र को आराम देने व उसकी ओवर हिलिंग जैसा होता है, पर 'अति सर्वत्र वर्जयते' के अनुसार अतिशय व अवैज्ञानिक तरीके से किए गए उपवास के खराब परिणाम भी सामने आ जाते हैं।

ऐसे करें शुरुआत

  • उपवास अचानक बहुत दिनों तक न करें। पहले एक दिन के उपवास से शुरुआत करें। और जैसे ही आप अपने शरीर को इसके अनुकूल पाने लगें तो सप्ताह में एक बार जरुर उपवास रखने का नियम बनाएं। आप शुरुआत में अन्न का त्याग कर सकते हैं। तथा निचे दिये हुए पदार्थो पर निर्भर रहते हुए दिन निकाल सकते हैं।
  • पकी कच्ची सब्जियां, ताजे फलों का रस।
  • ताजा सब्जियों का रस, फल, पानी।

इनसे बचें

पकी हुई सब्जियां, अन्न या अन्न के बने दूसरे पदार्थ, रोटियां, ब्रेड, बिस्कुट, पास्ता न खाएं। इसके अलावा चाय, दूध, दही, आइसक्रिम, मक्खन, अंडे, फास्ट फूड से तैयार किया हुआ भोजन, आलू की चिप्स, साबूदाने की खिचडी, मूंगफली के दाने या फरियाली मिक्चर भी आपके उपवास के मकसद को नष्ट कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

उपवास करने वालों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए, कि अगर वे किसी असाध्य बीमारी से पीडित हैं या किसी बीमारी का लंबे समय से इलाज ले रहे हैं तो अपने चिकित्सक की सलाह लिए बिना उपवास नहीं करना चाहिए। डायबिटीज मरीज, गर्भवती महिला व स्तनपान करा रही माता को भी उपवास नहीं करना चाहिए।

क्या-क्या लाभ हैं

  • तांत्रिक तंत्र में संतुलन स्थापित होता है।
  • ऊर्जा का स्तर बढता है, जिससे संवेदी क्षमताओं में वृध्दि होती है।
  • सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार होता है।
  • सेल्युलर बायोकेमेस्ट्री में संतुलन कायम होता है।
  • त्वचा संवेदनशील, नर्म और रेशमी हो जाती है।
  • आपके हाथ-पैरों का संचालन सरलता से होने लगता है।
  • पाचन तंत्र ठीक होकर सुचारु रुप से काम करने लगता है।
  • आंतो में, भोजन से रस सोखने की क्रिया में वृध्दि होती है।
  • मानसिक स्पष्टता में वृध्दि होती है, मस्तिष्क, सुचारू रूप से कार्य करता है।
  • तत्काल एवं सुरक्षित तरीके से वजन घटता है।

रोगों मे कारगर हैं उपवास

जीवन में उपवास की सार्थकता और तारतम्यता बनी रहे इसलिए सभी धर्मो ने इसे धार्मिक रीति-रिवाजों में समाहित करके देखा है, ताकि लोग इसका आध्यात्मिक भाव से अनुसरण करें। आयुर्वेद समेत दूसरी चिकित्सा पध्दतियों में बताया गया है कि, उपवास यानी पेट को खाली रखने की एक प्रक्रिया। यद्यपि प्रत्येक बीमारी का इलाज इससे नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह अधिकांश रोगों के निदान में महत्वपूर्ण भुमिका निभाता है। आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, हमेशा बनी रहने वाली थकान, कोलाइटिस, स्पास्टिक कोलन, इरिटेबल बावेल, लकवे के कई प्रकारों के साथ-साथ न्यूराल्जिया, न्यूरोसिस और कई तरह की मानसिक बीमारियों में उपवास फायदेमंद साबित होता है।