वैसे हमारी जीभ का प्रमुख कार्य है- बोलना और स्वाद की पहचान करना। यह पाचनतंत्र के शुरूआती अंगों में शामिल है। जीभ की लंबाई, मोटाई और चौडाई अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होती है। जीभ पूरे पाचनतंत्र का आईना होती है।
जीभ की टिप या सबसे आगे का हिस्सा रेक्टम और बडी आँत के अंतिम हिस्से का प्रतिनिधी है। जीभ के आगे के हिस्से की कोर बडी आँत की प्रतिनिधि है। टिप के पीछे का हिस्सा छोटी आँत का, तो पिछले हिस्से की कोर ग्रहणी (Duodenum) गालब्लेडर, लिवर और पैंक्रियाज की प्रतिनिधि है। मध्य के हिस्से से लेकर पिछले हिस्से के पास का पूरा हिस्सा आमाशय या स्टॉमक का प्रतिनीधीत्व करता है।
जीभ का सबसे पिछला हिस्सा, इसोफेगस या आहार नली का प्रतिनिधीत्व करता है। जीभ के नीचे के यही सब हिस्से बताते हैं कि, इन अंगों में रक्त तथा लिम्फ का प्रवाह कैसा है।
हम जीभ के रंग तथा उस पर विशिष्ट प्रकार के चिहून या निशान एवं परत से हमारी सेहत का हाल या स्थिती जान सकते हैं। तो आइए, हम समझें कि जीभ कैसे हमारे सेहत के राज खोलती है।
- गहरी लाभ जीभ: शोथ, अल्सर और कैंसर की सूचक है।
- सफेद जीभ: एनीमिया या रक्त की कमी, रक्त का सर्कुलेशन बाधित हुआ हो तो जीभ का रंग सफेद हो जाता है।
- पीली या पीली परत युक्त जीभ: शरीर में पित्त की आत्याधिक वृद्धि से जीभ पीली हो सकती है। जैसे, पीलिया, गॉलब्लैडर में सूजन कैंसर अथवा पथरी।
- सफेद धब्बे: अत्याधिक डेयरी प्रोडक्ट्स, एवं वसा युक्त भोजन लेने से जीभ पर पैचेस दिखाई देते हैं। पाचनतंत्र की दुर्बलता से भी ऐसे उत्पन्न हो सकते है।
- नीली जीभ: अत्याधिक ऑक्सीजन की कमी या फेफडों की समस्या से जीभ का रंग नीला हो सकता है। किसी दवाई के दुष्प्रभाव तथा अत्याधिक सॉफ्ट ड्रिंक्स तथा शुगर लेने वालों में भी जीभ का रंग नीला हो सकता है।
जीभ को यदि हम ध्यान से देखें तो हम कई स्वास्थ्य समस्याओं को आसानी से समझकर उसका उपचार वक्त रहते शुरू कर सकते है। यह रोगी एवं चिकित्सक दोनों के लिए बहुत मददगार है।