बढती उम्र के साथ हर व्यक्ति के मन में आशंका रहने लगती है कि, बुढापा आने वाला है, कुछ बदलाव तो उम्र के साथ होते हैं, लेकिन खराब जीवनशैली तथा शारीरिक श्रम के अभाव में व्यक्ति कुछ समस्याओं को खुद निमंत्रण देता है। बढती उम्र में कुछ मानसिक तथा कुछ शारीरिक समस्याएं व्यक्ति को परेशान करती है।
अल्जाइमर नामक भूलने की समस्या जो काफी लोगों में देखने को मिलती है, कुछ लोग भूल जाते हैं कि, उन्होंने क्या खाया था? कौन सा सामान कहाँ रखा था? इत्यादि। भावनात्मक तौर पर व्यक्ति स्वयं को बहुत कमजोर महसूस करता है। छोटी-छोटी बातों पर बुरा मानना, बार-बार बातों को दोहराना, स्वयं को उपेक्षित महसूस करना, अकेलापन तथा स्वयं को दूसरों पर आश्रित महसूस करता है।
इसकी बहुत बडी वजह है, संयुक्त परिवार का अभाव, भौतिक चकाचौंध, पैसे को महत्व देना, दो पीढियों के विचारों में अंतर, समय का अभाव तथा बच्चों का बडों के प्रति लगाव की कमी। आज युवा बडे होने पर माता पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में दिलचस्पी नहीं लेते जिससे बडों के मन में तनाव आ जाता है और वह मानसिक तौर पर अस्वस्थ होने लगते हैं।
शारीरिक दुर्बलता के कारण बुढापे में हड्डी व मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है। हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, कैंसर, आँखों की रोशनी में कमी, ग्लुकोमा, कम सुनना, घुटनों व जोडों में दर्द इत्यादि कुछ सामान्य सी बीमारीयाँ हैं, जो अधिकतर बडी उम्र के लोगों में देखने को मिलती हैं।
बढती उम्र और कुपोषण
अध्ययन के मुताबिक, बुढापे में सबसे बडी समस्या कुपोषण की होती है। कुपोषण की वजह से मौत की दर में वृद्धि, अस्पतालों में ज्यादा समय बिताना और ज्यादा जटिलताएं होती है, इसके साथ ही संक्रमण, एनीमिया, त्वचा की समस्याएं, कमजोरी, चक्कर आना और रक्त में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन होता है। कुपोषण दो तरह का होता है, ज्यादा पोषण या कम पोषण।कम पोषण
जब आवश्यक आहार नहीं लिया जाता तो इसे कम पौष्टिकता कहा जाता है, इसकी वजह से वजन कम होना और अन्य समस्याएं हो सकती है। बुजुर्ग, जिन्हें रूमेटाइड अर्थ्राइटिस, हार्ट फेल, कैंसर, अंगों का काम न करना आदि समस्याएं हों, उनमें वजन की भारी कमी हो सकती है, इससे भूख मर जाती है, जो कम पोषण की वजह बनता है।ज्यादा पोषण
कई बार उम्र के साथ लोगों की शारीरिक गतिविधीयां तो कम हो जाती हैं, लेकिन उनके खाने की आदत जवानी वाली ही रहती है। इस वजह से ज्यादा पोषण हो जाता है। वजन बढने से दिल के रोग, अर्थ्राटिस और डायबिटीज होने का खतरा बढ जाता है। ज्यादा आहार लेने के बावजूद उनको उचित पोषण नहीं मिलता।अध्ययन में यह बात सामने आई है कि, 65 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले बडी संख्या में दोनो में से किसी तरह के कुपोषण से पीडित होते हैं। 10 में से 1 को कम पोषण की आवश्यकता होती है। कई उम्रदराज लोग हैं जो एक वक्त का खाना छोड देते हैं। अस्पताल में भर्ती होने की वजह से 60 प्रतिशत बुजुर्गों में कम पोषण की संभावना 60 प्रतिशत तक बढ जाती है।
वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों में कुपोषण की समस्या 85 प्रतिशत तक है। 65 वर्ष से ज्यादा के एक तिहाई लोग जरूरत से ज्यादा खाते हैं। इस वजह से उनमें ज्यादा पोषण की समस्या होती है। मोटापा और जीवनशैली से जुडी बीमारीयां आम हैं। जो कि बढती उम्र के साथ आनेवाले शारीरिक बदलाव की वजह से बढ जाती है।
बुढापे में कुपोषण के कारण
- कोई बीमारी जिस की वजह से खाने की किस्में या मात्रा बढ जाती है।
- दिन में 2 बार से कम खाना
- फलों, सब्जियों और दूध के उत्पाद कम खाना
- शराब का सेवन
- दातों की समस्याएं
- वित्तीय हालात
- अकेले खाना, जिससे खाने में दिलचस्पी कम होना
- दवाइयां
- पकाने, राशन खरीदने या अपने आप खाने की समस्याएं क्या करें
क्या करे
- कम सैचुरेटेड फैट और ट्रांसफैट चॉकलेट, कुकीज, चिप्स, पैस्ट्रीज आदि ऐसी चीजें हैं जिन्हें बिलकुल नहीं खाना चाहिए।
- शरीर में पानी की मात्रा, पाचन और रक्त का घनत्व बनाए रखने के लिए पानी पीते रहें।
- मीठे के शौकीन दही के साथ ताजा फल और संपूर्ण अनाज वाले फल खा सकते हैं।
- उम्र बढने के साथ ज्यादा नमक वाले आहार न लें।
- पौष्टिक तत्वों वाले आहार लेना बेहद आवश्यक हैं। उम्र बढने के साथ पौष्टिकता का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। जख्मों और टूटी हड्डी के ठीक होने और ऐसी अन्य समस्याओं के मौके पर अधिक प्रोटीन की आवश्यकता है। तंतुओं की सघनता बनाए रखने, मांसपेशियों की मजबूती और रोगप्रतिरोधक क्षमता को कायम रखने के लिए आहारीय प्रोटीन लेते रहना चाहिए।
खान-पान का रखें विशेष ध्यान
जीवन में आहार-विचार-संस्कार का विशेष महत्व होता है, इसलिए इस उम्र में हमें सबसे पहले अपने आहार को सात्विक बनाना चाहिए। जंक फूड, फास्ट फूड, नशा और धूम्रपान आदि से दूर रहें तो आपका शरीर अधिक दिनों तक आपका साथ दे सकता है।व्यायाम और योग का सहारा लें
रोज व्यायाम करना सभी के लिए जरूरी है। सैर करना, स्थिर व्यायाम, बागबानी आदि ऐसी गतिविधीयां हैं, जो ऊर्जा को संचारित करती है और मांसपेशियों व जोडों को कार्यरत बनाए रखती हैं, इससे पाचनतंत्र भी ठीक रहता है। उम्रदराज लोगों के लिए विशेष कसरतें होती हैं, जो उन्हें तंदुरूस्त भी रखती है और गिरने से भी बचाती हैं। साथ ही, केवल पौष्टिकता से ही बुजुर्गों की देखभाल न करें बल्कि प्यार, दुलार व रिश्तों की गरमाहट के साथ उनका खयाल रखें। व्यायाम से जहां अपने शरीर को नया आयाम दे सकते हैं, वहाँ इससे हड्डियों और शरीर में लचीलापन ना रहता है। यह जानना भी बेहद जरूरी है कि इस उम्र में आपके लिए कौन-सा व्यायाम फायदेमंद है। योग के द्वारा अनेक रोगों से छुटकारा मिलने के साथ ही भूलने जैसी बीमारी से दूर रहकर एकाग्रचित्तता का अनुभव कर सकते हैं।सुबह की सैर जरूरी
नियमीत रूप से सुबह-शाम टहलने से जहां आप तरोताजा महसूस करेंगे, वहीं सुबह की स्वच्छ हवा और आनंददायक मौसम का भी आनंद उठा सकते हैं। इससे शरीर निरोगी रहने के साथ ही ऊर्जावान बना रहेगा। लेकिन इस उम्र में सैर का मतलब पूरे लबादे में घूमना भी नहीं है, बल्की अब भी ट्रैक सूट आदि से परहेज नहीं होना चाहिए।देश-दुनिया की बातों से रहे अपडेट
आपको रेडियो, टीवी, न्यूजपेपर और इंटरनेट जैसी सुविधाओं के संपर्क में रहने की जरूरत होती है, ताकि आप स्वयं को घर, समाज और दुनिया से दूर महसूस न कर सकें। इसके अलावा हर घटना की जानकारी भी आपके पास रहेगी।नकारात्मक विचारों को ना कहें
हमेशा सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए, न कि नकारात्मक भावों के भंवरजाल में फंसे रहें। इससे आप स्वयं को दूसरों से ज्यादा ताकतवर और अलग पाएंगे। यात्राओं के द्वारा भी अपना मनोबल बढा सकते हैं। इससे आपका दिमाग भी खुला रहेगा और खुशी भी महसूस कर सकते हैं। युवा लोगों के साथ टी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं। छोटे बच्चों के साथ समय देकर अपनी उदासी को खत्म कर सकते हैं। अगर आपका पुत्र-पुत्रवधु कामकाजी है तो उनके बच्चों को आप पूरा समय दे सकते हैं।अपने अनुभव बांटे
सेवानिवृत्त होने के बाद कुछ करने को न दिखे तो अपने समृद्ध अनुभवों से दूसरों को लाभान्वित करें। इससे आपको सम्मान तो मिलेगा ही, दूसरे व्यक्तियों को भी उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सकेगा। इसकी शुरूआत आप अपने घर से ही कर सकते हैं।संगीत सुने
जब आप अत्याधिक थकन महसूस करें या मन में निराशा घर करने लगे तो संगीत सुनन की आदत बनाएं। संगीत से आपको बेहद शांति व सुकून प्राप्त होगा।इस उम्र के प्रायः लोग सोचते हैं कि, वे रिटायर हो गए हैं, इसलिए उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं, उनमें उम्र की थकान जल्दी आती है। यदि आप नौकरी से निवृत्त हो गए हैं तो स्वयं को सामाजिक कार्यों से जोड कर रखें। व्यवसाय है तो आप उसे बढा सकते हैं।
जीवन का उद्देश्य बनाएं
सबसे आवश्यक बात यह है कि, जब व्यक्ति जीवन से निराश हो जाता है, तो वह निष्क्रिय हो जाता है, जो बहुत घातक साबित होता है। इसलिए अपने सामने जीवन का एक लक्ष्य रखें और स्वयं को उससे जोडे रहें। उद्देश्य सामने रखें, उसके बारे में सोचें, लिखें, परिणाम पर विचार करें।यदि हम युवावस्था में ही अपनी जीवनशैली, संतुलित खानपान, नियमित व्यायाम पर ध्यान दें तो काफी हद तक बीमारीयों से बचा जा सकता है। लोगों से मिलना जुलना, अपने शौक को विकसित करना, घूमना, जितना हो सके अपना काम स्वयं करना, किसी सामाजिक संस्था से जुडना आदि बातों को अपनाकर मानसिक तनाव से बच सकते हैं।
बुढापें में अपने माता-पिता की करें देखभाल
मां बाप से बडा इस दुनिया में कोई नहीं होता है। माता-पिता दोनों ही हमारे लिए इतना कुछ करते हैं कि हम कितने भी जन्म ले लें, लेकिन उनका कर्ज कभी भी नहीं चुका पाएंगे। माता-पिता अपने सारे अरमानों का गला घोंटकर हमारे करीअर पर फोकस करते हैं, ताकि हम आगे बढ सकें, लेकिन आजकल कई ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं, जहां पर बच्चे बडे होने पर अपने माता-पिता की कदर नहीं करते हैं। वह माता-पिता के प्यार को भूलकर उन पर अत्याचार करने लग जाते हैं। लेकिन आप उन लोगों में शामिल ना हो और अपने माता-पिता की देखभाल करना बिल्कुल ना भूलें। आइए आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं, जिनसे आप अपने माता-पिता की देखभाल बेहतर तरीके से कर पाएंगे।1. समय-समय पर चेकअप के लिए लेकर जाएं -
बढती उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याएं भी बढने लगती हैं। अपने प्रियजनों का हेल्थ चेकअप समय-समय पर करवाते रहें। उचित खानपान और संतुलित व्यायाम भी वृद्धजनों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
2. उनके साथ समय बिताएं -
आप अपने व्यस्त समय के कुछ पल उनके लिए भी निकाल लें और उनके साथ बैठकर बातें करें। ऐसा करने से उन्हें अच्छा लगेगा। इतना ही नहीं समय मिलने पर उन्हें कॉल करें और उनका हालचाल पूछें।
3. शॉपिंग के लिए लेकर जाएं -
माँ बाप को शॉपिंग के लिए भी लेकर जाएं, ऐसा करने से उन्हें ऐसा लगता है कि आप जरूरतों का कितना ख्याल रख रहे हैं।
अपने माँ-बाप की बढती उम्र के इस दौर में उनके साथ के व्यवहार में उपर दी गई छोटी-छोटी बातों को शामिल करेंगे तो, उनका जीवन और ज्यादा खुशियों से भर जायेगा।