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Pranayama for Winter - सर्दी में बीमारीयों से बचने के लिए करीए प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका का अर्थ है, धौंकनी। दोनों नासिकाओं से गहरी लंबी सांस लेते हुए अधिकतम ऑक्सीजन, फेफडों में भरते है और फिर गहरी लंबी सांस ही बाहर छोडते हैं। इस प्राणायाम में सांस की गति इतनी धीमी रखनी है कि, सांसों की आवाज पास बैठे व्यक्ति ही सुन पाएं। 

वात-पित्त-कफ का संतुलन बनता है। फेफडों के रोग, दमा, अस्थमा, कफ, नाक से पानी गिरना, छींक आना आदि सर्दी के रोगों में फायदेमंद हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है।

बाह्य प्राणायाम

दोनों नासिकाओं से एक साथ सांस भरकर, पूरी सांस एक साथ बाहर छोडकर, यथा सामर्थ्य सांस को बाहर ही रोक लेते हैं। कुछ देर रूककर गर्दन को धीरे-धीरे सीधा करते हुए, गहरी लंबी सांस लेते है। इसे 3-5 बार दोहराईएं।

इस प्राणायाम से सर्दी, जुकाम, कफ, साइनस, बार-बार नाक की हड्डी बढना, सिरदर्द, नाक से पानी गिरना आदि रोगों में लाभ मिलता है। यह आसन, थायराइड को दूर करने में भी लाभकारी है। उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों को सही मार्गदर्शक के देखरेख में यह प्राणायाम बहुत धीरे से करना चाहिए।