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Pranayama for Snoring - भ्रामरी प्राणायाम व सिंहासन करने से खर्राटे आना बंद हो जाएंगे

खर्राटे आप लेते हैं और सोने में परेशानी दूसरे को होती है। खुद तो चैन से सोते हैं, जबकि आपके साथ मौजूद व्यक्ति की नींद खराब हो जाती है, आप भी सोते समय खर्राटै लेते हैं तो इस आदत में सुधार किजिए। यह आपकी सेहत के साथही आपके परीजनों की नींद और सेहत के लिए भी लाभदायक होगा।

खर्राटे अक्सर हमारे नाक, मुंह और गले में वसन मार्ग छोटा होने के कारण भी आतें हैं। इसके अलावा नाक में किसी तरह की तकलीफ होने के कारण भी खर्राटे आतें हैं। जब सांस लेने में किसी तरह का अवरोध उत्पन्न होता है, तो खर्राटे आने लगते हैं। कुछ लोगों में धूम्रपान करने, मोटापा और हाई ब्लडप्रेशर के कारण भी इसकी समस्या होती है।

योग से करें खर्राटे का समाधान
योग खर्राटे की समस्या से निजात दिलाने के लिए सबसे फायदेमंद है। जब तक व्यक्ति योग का अभ्यास करता है, योग के फायदे उस व्यक्ति में नजर आते हैं। यदि कोई व्यक्ति योग को बहुत लम्बे समय तक अभ्यास करता है, तो उसका रिजल्ट बहुत प्रभावी होता है। योग लंग की कार्यक्षमता को बढाता है और हवा को पास करने के रास्ते हमेशा खुले रखता है, जिससे खर्राटे की समस्या दूर होने में मदद मिलती हैं। इसीलिए, खर्राटे की समस्या से निपटने में उपयुक्त दो योगासन के बारे में यहां बता रहे हैं, जो आपकी मदद करेंगे।

सिंहासन
सिंहासन का अभ्यास करते समय, हमारे शरीर का आकार सिंह के समान हो जाता है, इसलिए इसे सिंहासन नाम दिया गया है। इसे करने के लिए सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। दोनों हाथों को जमीन पर रखे और हाथों की अंगुलियां पीछे की ओर करके पैरां के बीच अंतर लेकर उन्हें सीधा रखें। लम्बी गहरी सांस लें और जीभ को बाहर की ओर निकालिए और देखिए। मुख को यथासंभव खोल दें। उसके बाद श्‍वास को बाहर निकालते हुए, सिंह की दहाडें। इस क्रिया को दहाड के साथ 10 से 15 बार अभ्यास करें।

भ्रामरी प्रणायाम
भ्रामरी प्राणायाम को करते वक्त भंवरे जैसी गुंजन होता है, इसीलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहा जाता हैं। इसके नियमित अभ्यास से और भी बहुत से लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। इसे करने के लिए, सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठ जाये और अपने दोनों हाथों के अंगुठे से कानों को बंद करें। तर्जनी को सिर पर रखें, बाकि बची हुई अंगुलियों को आंखों पर रखें, फिर सांस को धीमी गति से गहरा खींचकर अंदर कुछ देर रोककर रखें और फिर उसे धीरे-धीरे आवाज करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से निकालें। सांस छोडते वक्त भंवरे जैसी आवाज निकालने की कोशिश करें। यह भी खर्राटे को दूर करता है।