शिवाम्बु चिकित्सा को वैज्ञानिक आधार क्या है और स्वमूत्र
में कौन-कौन से औषधी तत्त्व हैं ?
शिवाम्बु
चिकित्सा जिस प्रकार शास्त्रमान्य एवं अनुभवसिद्ध उपचार पद्धती है, उसी प्रकार वह
आधुनिक वैज्ञानिक प्रयोगों की कसौटीपर प्रमाणीत
हुई वैज्ञानिक उपचार पद्धती है। वैज्ञानिकों ने इसे मान्य किया है कि, मानवी मूत्र में
विविध उपयुक्त ऐसे गुणधर्मों से युक्त तत्त्व है। मूत्र याने हमने ग्रहण किये हुए
आहार का और उसके साथही रक्त और शरीर में होनवाली जैव-रासायनिक क्रियाओं का प्रतिबिंब
है। मूत्र में कईं प्रकार के इनऑरगॅनिक तत्त्व, नायट्रोजन तत्त्व,
प्रोटिन्स, अॅमिनो अॅसिडस्, इन्झाईम्स, कार्बोहायड्रेटस्, व्हिटॅमिन्स और
हार्मोन्स मिलते हैं। मानवीय मूत्र में 250 से अधिक
औषधी गुणधर्मों के तत्त्वों का शोध किया गया है, उनमें से कुछ तत्त्व निम्ननुसार -
? एंटिनियोप्लास्टिन्स
: कॅन्सर के पशीयों को बढने से रोकता है।
? ग्लुटीनिन और
प्रेसिपिटीस : पोलिओ जैसे व्हायरस को बेकार कर सकता है।
? आलान टोईन : यह एक
नायट्रोजनयुक्त घटक है, जो चोट को
ठीक करणे के लिए मदद करता है। यह घटक युरिक अॅसिड से बनता है। आजकल पुरुषों के
लिए उपयोग की जानेवाली जादातर त्वचा क्रीम में इसका प्रयोग होता है।
? डीहायड्रो इपि
एंडेस्टेरॉन (ऊकएअ) : शरीर का मोटापा,
स्थूलता कम करनेवाला घटक;
अॅनिमिया, मधुमेह, ब्रेस्ट कैन्सर के
लिए उपयोगी। यह बोनमॅरो में रक्तपेशीयों की निर्मिती को उद्दीपित करता है।
? ग्लुकोरिनिक अॅसिड
: पाचनसंस्था के कार्य में मदत करनेवाला महत्वपूर्ण घटक।
? ह्युमन युरिन
डेरिव्हेटिव्ह (कणऊ) : शरीर में बुखार लानेवाला घटक अर्थात शारीरिक रोगप्रतिकारक
तत्त्व।
? एच-11 घटक : कैन्सर की
पेशीयों को नष्ट करनेवाला घटक।
? प्रॉस्टाग्लॅडिन :
रक्तदाब को कम करनेवाले हार्मोन्स,
श्वासरोग, दमा में
उपयुक्त, इस
हार्मोन्स के कारण प्रसूती सुलभ होती है।
? प्रोटिएज् :
एलर्जी रिअॅक्शन में उपयोगी सिद्ध होनेवाला घटक।
? रेटीन :
कैन्सरनाशक घटक।
? प्रोटीन
ग्लोब्युलिन्स : एलर्जी में रोगप्रतिकारक शक्ति का काम करनेवाला घटक।
? युरिक अॅसिड :
मूत्र का प्रमुख घटक, सभी
संसर्गजन्य विषाणुओं को नष्ट करनेवाला घटक,
प्रतिजैविक।
? युरिया : मूत्र का
प्रमुख घटक, सभी
संसर्गजन्य विषाणुओं को नष्ट करनेवाला मुख्य प्रतिजैविक घटक।
? मूत्र में स्थित
नायट्रेट : त्वचा मुलायम एवं तरोताजा बनानेवाला घटक। त्वचा के फंगल इन्फेक्शन पर
उपयुक्त घटक।
? कॉर्टीसोन :
त्वचारोग, एलर्जी, सुजन कम करने में
सहायक घटक।
? मॅलोटोनिन :
मानसिक तणाव कम करनेवाला घटक। हृदयविकार की संभावनाओं को कम करनेवाला घटक। शरीर
में स्फूर्ती बढानेवाला घटक।
? युरोकानेज : खून
की धमनियों की बाधाओं को दूर करता है। रक्ताभिसरण में सुधार लाता है। हृदयविकार कम
करणे में मदत करनेवाला घटक।
? इपिलिथियल ग्रोथ
फॅक्टर (एॠऋ) : चोटयुक्त त्वचापेशीयों और अंगों को ठीक करने में मदद करनेवाला घटक।
??कोलोनी
स्टिम्युलेटिंग फॅक्टर (घडऋ): नई पेशियों के निर्माण में सहायक घटक।
? ग्रोथ हार्मोन्स
(ॠक) : शरीर में प्रोटिन्स का संतुलन,
कार्टिलेज का बढना और चरबी को सन्तुलित करनेवाला घटक।
? इरिथ्रोपॉटिन :
लाल रक्तपेशियों की संख्या बढाने में मदद करनेवाला घटक।
? गोनॅडोट्रोफिन :
शुक्राणुओं को बढानेवाला घटक।
? कॅलिक्रीन :
हाथपैरों की धमनीयों को कार्यशील बना के रक्तचाप कम करने का कार्य करनेवाला घटक।
? ट्रिप्सिन
इन्हिबीटर : गाठों का बढना रोकता है।
? एलंटीन : चोट और
ट्युमर को ठीक करनेवाला घटक।
? थायराट्रोपीन
(ढडक) : थॉयरॉईड ग्रंथियों को उद्दीपित करके शरीर में ऊर्जा का सन्तुलन रखने में
मदद करनेवाला घटक।
? ल्युटिनायजिंग
हार्मोन्स (ङक) : सेक्स हार्मोन्स को बढाता है।
? पॅराथायरॉइड
हार्मोन्स : कॅल्शियम मेटॅबोलिझम को नियंत्रित करता है।
? मूत्र में स्थित
खनिज (मिनरल्स) : शरीर और इंद्रियों की शुद्धीकरण क्रिया को उद्दीपित करते है।
शरीर में से विजातीय घटको कों बाहर निकालते है। खनिज और पेशियों की निर्मिती में
मदद करनेवाले घटक।
? एड्रिनोकॉरटिको
ट्रोफिक हार्मोन्स (अउढक): अॅड्रिनल ग्रंथियों को कोर्टिसोन तयार करने में मदद
करनेवाला घटक।
आज बाजार
में मूत्र से बनाई जानेवाली अनेक औषधियाँ उपलब्ध है, जिनकी कीमतें कल्पना से परें है।
? युरोकायनेज
(णीेज्ञळपरीश) : खून को पतला रखता है। खून के प्रवाह में आनेवाली बाधाओं को दूर
करता है। पक्षाघात एवं हृदयविकारों में प्रयोग किए जाने वाले इंजेक्शन जिनकी
कीमतें हजारों रुपये है।
? सीडीए -2 : चायना के
शास्त्रज्ञों ने कैन्सर के लिए मूत्र से विकसित किया हुआ इंजेक्शन मजो केवल कैन्सर
की पेशियों को ही मारता हैंफ ऐसा उनका दावा है। यह आज भी संशोधन की अवस्था में है।
कैन्सर की पेशियों को प्रभावी ढंग से नष्ट करने में सक्षम है।
?
प्रोगोनल (झीशसेपरश्र) : यह एक गोनॅडो ट्रोफिक हार्मोन है। मोनॉपॉजल सिंड्रोम
में उपयुक्त। पुरुषों में शुक्राणुओं की वृद्धी के लिए साथ ही स्त्रियों के
बीजान्ड के विकास के लिए उपयोग किया जाता है।
? मेट्रोडिन
(चशीीेंवळप) : रजोनियमन की समस्याएँ,
गर्भधारणा के लिए उपयुक्त।
? प्रोफेसी : बार
बार गर्भपात ना हो, गर्भ का
सही पोषण-संरक्षण, विकास, आदि के लिए
इस्तेमाल की जानेवाली औषधी है।
? अॅन्टीनिओप्लास्टॉन्स
: कैन्सरविरोधी मूत्र से अलग किए जानेवाले घटक।
? युरियाद्वारा बनाई
गई औषधियाँ -
? युरियाफिल : यह एक
डायसटिक मूत्रिक औषधी है। मूत्र साफ होने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
? युरोफोलीट्रोफिन :
मूत्र से अलग किया जाता है,
प्रजनन क्षमता और वंध्यत्व (नपुंसकता) दूर करता है।
? युरोकाईन :
त्वचाविकारों के लिए उपयुक्त।
? पॅनाफिल :
अँटिसेप्टिक, त्वचा के
उपर की चोटें और अल्सर में उपयुक्त,
साथ ही कईं सौंदर्य प्रसाधनों में त्वचापर झुरियाँ न पडे इसलिए प्रयोग की
जानेवाली क्रीम्स में युरिया का प्रयोग किया जाता है।
अत:
शिवाम्बु चिकित्सा जितनी प्राचीन है,
पुरानी है, उतनी ही
आधुनिक और वैज्ञानिक है।